जल्द ही बाजारों में मिलने लगेगी ‘डाल की पकी दशहरी'

Edited By jyoti choudhary,Updated: 14 Jun, 2020 03:47 PM

dal ki paki dushari  will soon be available in the markets

‘''डाल की पकी दशहरी ले लो‘'' यह आवाज कुछ ही दिनों में गलियों में आम हो जाएगी। अधिकतर विक्रेता यह बोल कर ग्राहकों को लुभाने में सफल हो जाते हैं क्योंकि उनके दिमाग में समय से पहले तोड़कर पकाई गई कम मीठे असामान्य दशहरी की छवि होती है।

नई दिल्लीः ‘'डाल की पकी दशहरी ले लो‘' यह आवाज कुछ ही दिनों में गलियों में आम हो जाएगी। अधिकतर विक्रेता यह बोल कर ग्राहकों को लुभाने में सफल हो जाते हैं क्योंकि उनके दिमाग में समय से पहले तोड़कर पकाई गई कम मीठे असामान्य दशहरी की छवि होती है।

केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक शैलेन्द्र राजन के अनुसार लखनऊ के मार्केट में आम के सीजन की शुरुआत मार्च में ही हो जाती है जब दक्षिण भारत से बंगनापल्ली और तोतापुरी आम आने लगते हैं। लखनऊ के कुछ विशेष बाज़ारों में अल्फांसो भी दिखाई देने लगता है लेकिन शायद आम आदमी को इसका स्वाद रास ना आए क्योंकि दाम मई में मिलने वाले आम के मुकाबले 10 गुना तक ज्यादा हो सकता है। 

कुछ ही दिनों में लाल रंग की किस्म स्वर्णरेखा भी मार्केट में दिखाई देने लगती है लेकिन सीजन की शुरुआत में दशहरी की कमी अखरती है और शायद यही कारण है कि कुछ लोग दशहरी के आने की बड़ी ही बेकरारी से इंतजार करते हैं डॉ राजन के अनुसार दशहरी के मार्केट में आते ही पूरा लखनऊ आममय हो जाता है, जगह-जगह पर गलियों, ठेले और डलियों में आम बेचते हुए लोग मिल जाएंगे। कुछ लोग इस सीजन में सब कुछ छोड़ कर आम के धंधे पर ही निर्भर हो जाते हैं । 

दशहरी आम की बाजार में शुरुआत मई के दूसरे पखवाड़े में हो जाती है लेकिन आज ग्राहक जानते हैं कि यह शुरुआती आम जबरदस्ती पकाया हुआ है। कार्बाइड के कारण होने वाली समस्याओं के प्रति जागरूकता ने शुरू-शुरू में आने वाले आम की मांग को कम किया है हालांकि अच्छा मुनाफा आम को इस समय ही बेचने से मिलता है लेकिन यह सब स्वाद और गुणवत्ता के आधार पर। लखनऊ में दशहरी का तो असली स्वाद 15 जून के बाद ही आता है।

दशहरी के लिए लखनऊ मशहूर है लेकिन इसकी खासियत के कारण दूसरे राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, ओडिशा में भी खेती की जाने लगी है। इसका एक कारण, उत्तर भारतीय लोगों का इन राज्यों में बस जाने के साथ ही बेहतरीन गुणवत्ता के कारण दशहरी का लोगों को लुभाना माना जा सकता है। इन राज्यों में भी लोग दशहरी की खेप का इंतजार करने लगे हैं लेकिन उन्हें शायद लखनऊवासियों से पहले ही दशहरी नसीब हो जाता है। कुछ राज्यों में तो दशहरी के फल अप्रैल अंत या मई के प्रथम सप्ताह में ही मिलने लगते हैं और इसका मुनाफा विक्रेता दिल्ली या दूसरे मार्केट में दशहरी जल्दी उपलब्ध करा कर प्राप्त करते हैं। देश के प्रमुख बाज़ारो में दूसरे राज्यों से दशहरी कितनी ही जल्दी आ जाए, लोग लखनऊ की दशहरी का इंतजार करते हैं।  

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