Edited By Isha,Updated: 10 Mar, 2019 10:37 AM
दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों के बीच गलाकाट प्रतिस्पर्धा के कारण डाटा टैरिफ में आयी गिरावट और सुदूरवर्ती इलाकों में स्मार्टफोन की पहुंच बढऩे से देश में डाटा खपत में करीब 73 फीसदी की वार्षिक वृद्धि हो रही है और वर्ष 2022 तक इसके बढ़कर एक करोड़ नौ...
नई दिल्लीः दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों के बीच गलाकाट प्रतिस्पर्धा के कारण डाटा टैरिफ में आयी गिरावट और सुदूरवर्ती इलाकों में स्मार्टफोन की पहुंच बढऩे से देश में डाटा खपत में करीब 73 फीसदी की वार्षिक वृद्धि हो रही है और वर्ष 2022 तक इसके बढ़कर एक करोड़ नौ लाख 65 हजार 879 एमबी तक पहुंचने का अनुमान है। वर्ष 2017 में देश का डाटा खपत 71 लाख छह हजार 710 एमबी रहा था।
उद्योग संगठन एसोचैम और बाजार अध्ययन करने वाली एजेंसी पीडब्लयूसी के संयुक्त अध्ययन के मुताबिक वर्ष 2017 में देश में 40 फीसदी फोन स्मार्टफोन थे। स्मार्टफोन की बढ़ती संख्या के कारण वीडियो ऑन डिमांड कारोबार को सर्वाधिक लाभ होगा जिससे डाटा की खपत बढ़ेगी।
देश में इंटरनेट उपभोक्ता बड़ी तेजी से डाटा की खपत कर रहे हैं। वर्ष 2013 तक देश के मोबाइल उपभोक्ता औसतन कॉङ्क्षलग सेवा के लिए अधिक खर्च करते थे लेकिन अब मोबाइल बिल का अधिकतर हिस्सा डाटा का होता है। रिपोर्ट के अनुसार,वर्ष 2013 में वॉइस कॉलिंग सेवा पर औसतन मासिक खर्च 214 रुपये और डाटा पर खर्च 173 रुपये था। वर्ष 2016 में वॉइस कॉङ्क्षलग पर खर्च घटकर 124 रुपये हो गया और डाटा पर खर्च बढ़कर औसतन 225 रुपये प्रति माह हो गया। नोकिया मोबाइल ब्रॉडबैंक सूचकांक 2018 के मुताबिक कुल डाटा खर्च में वीडियो स्ट्रीमिंग की हिस्सेदारी 65 से 75 प्रतिशत तक है।