DDT, STT, एल.टी.सी.जी. पर टैक्स राहत के आड़े आ रहा 80,000 करोड़ रुपए का सवाल

Edited By jyoti choudhary,Updated: 01 Nov, 2019 10:53 AM

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डिवीडैंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डी.डी.टी.), सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एस.टी.टी.) और शेयरों पर लांग टर्म कैपिटल गेन्स (एल.टी.सी.जी.) टैक्स खत्म करने से सरकार के टैक्स रैवेन्यू में 80,000 करोड़ रुपए की कमी हो सकती है।

नई दिल्लीः डिवीडैंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डी.डी.टी.), सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एस.टी.टी.) और शेयरों पर लांग टर्म कैपिटल गेन्स (एल.टी.सी.जी.) टैक्स खत्म करने से सरकार के टैक्स रैवेन्यू में 80,000 करोड़ रुपए की कमी हो सकती है। इसे देखते हुए सरकार के लिए इस मामले में तत्काल कोई रियायत देना मुश्किल हो गया है। सरकार कॉर्पोरेट टैक्स रेट्स पहले ही घटा चुकी है। सरकार के मुताबिक इस मद में उसके हाथ से 1.45 लाख करोड़ रुपए निकल गए हैं। मामले से वाकिफ एक शख्स ने कहा कि और ज्यादा टैक्स रियायत देने के लिए या तो सुपर-रिच लोगों पर इनकम टैक्स बढ़ाना होगा या कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च घटाना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘विकल्प सीमित हैं। रैवेन्यू लॉस की भरपाई दूसरे स्रोतों से करनी होगी। ऊंचे इनकम ब्रैकेट वालों पर टैक्स रेट बढ़ाने का विकल्प ही है क्योंकि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और मनरेगा जैसी योजनाओं पर खर्च कम नहीं किया जा सकता है।’’ 

सुपर रिच पर और बढ़ सकता है बोझ 
यह विकल्प आजमाने पर सुपर रिच लोगों पर टैक्स का बोझ बढ़ेगा। इससे पहले इस साल के बजट में उन पर टैक्स बढ़ाया गया था। 2 करोड़ रुपए से ज्यादा आमदनी वालों पर इफैक्टिव टैक्स रेट 39 प्रतिशत और 4 करोड़ रुपए से ज्यादा आमदनी वालों पर यह 42.7 प्रतिशत है। इकॉनोमी में सुस्ती को देखते हुए भी सरकार के लिए कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च घटाना मुश्किल होगा। केन्द्रीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) ने कहा है कि इस वित्त वर्ष में देश की जी.डी.पी. ग्रोथ घटकर 6.1 प्रतिशत रह सकती है, जो पिछले साल 6.8 प्रतिशत पर थी। 

टास्क फोर्स ने दिया था सुझाव 
डायरैक्ट टैक्स की समीक्षा के लिए सरकार की ओर से बनाई गई एक टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि डिवीडैंड पाने वालों से टैक्स लिया जाना चाहिए, साथ ही लांग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स के लिए टैक्स रेट में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए। डिवीडैंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स कम्पनी की ओर से घोषित ग्रॉस डिवीडैंड पर 15 प्रतिशत की दर से लिया जाता है। इससे सरकार के टोटल टैक्स रैवेन्यू में करीब 55,000 करोड़ रुपए आते हैं। सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स से 12,000 करोड़ रुपए मिलते हैं। इतनी ही रकम लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स से मिलने का अनुमान है। इस तरह इनसे कुल टैक्स रैवेन्यू करीब 80,000 करोड़ रुपए का है। 

GST कलैक्शन में नरमी से बढ़ी चिंता 
इकनॉमिक स्लोडाऊन के बीच जी.एस.टी. कलैक्शन में नरमी के कारण रैवेन्यू से जुड़ी ङ्क्षचता बढ़ी है। डायरैक्ट टैक्स कलैक्शन भी कमजोर ही है। सूत्र ने कहा कि सरकार अगर कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च नहीं घटाती है और सुपर रिच पर टैक्स नहीं बढ़ाती है तो उसे बॉरोइंग बढ़ानी पड़ेगी लेकिन ऐसा करने पर मार्कीट में लिक्विडिटी की तंगी हो जाएगी। इससे इंडस्ट्री को और तकलीफ  होगी। मार्कीट पार्टीसिपैंट्स और इंडस्ट्री ने डिवीडैंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स और सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स के अलावा लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स खत्म करने की पुरजोर मांग की थी ताकि ओवरऑल सैंटीमैंट मजबूत किया जा सके।

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