Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 Dec, 2018 02:23 PM
दिवालिया कानून के तहत ऐक्शन से बचने के लिए और अपने कर्ज को चुकाने के अनिल अंबानी के प्रयासों को टेलिकॉम डिपार्टमेंट से करारा झटका लगा है। दूरसंचार विभाग ने मंगलवार को अनिल अंबानी की रिलायंस कॉम्युनिकेशंस और मुकेश
मुंबईः दिवालिया कानून के तहत ऐक्शन से बचने के लिए और अपने कर्ज को चुकाने के अनिल अंबानी के प्रयासों को टेलिकॉम डिपार्टमेंट से करारा झटका लगा है। दूरसंचार विभाग ने मंगलवार को अनिल अंबानी की रिलायंस कॉम्युनिकेशंस और मुकेश अंबानी की कंपनी जियो इन्फोकॉम के बीच एयरवेव्स को लेकर हुए करार को मंजूरी देने से इनकार कर दिया। विभाग का कहना है कि उनके बीच हुआ करार नियमों के मुताबिक नहीं है।
इससे रिलायंस कॉम्युनिकेशंस की उन कोशिशों को झटका लगा है, जिसके तहत वह दिवालिया कानून से बचने की कोशिशों में जुटी थी। असल में यह नाटकीय घटनाक्रम तब सामने आया, जब जियो की ओर से टेलिकॉम डिपार्टमेंट को एक पत्र लिखा गया था। इसमें कहा गया था कि सरकार को यह भरोसा दिलाना चाहिए कि रिलायंस कॉम्युनिकेशंस के एयरवेव्स के बकाए के लिए जियो को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा।
जियो की यह मांग सरकार के स्पेक्ट्रम ट्रेडिंग के नियमों के मुताबिक नहीं है। सरकार के नियमों के मुताबिक विक्रेता पर बकाये की राशि की देनदारी उस पर बनती है, जिसने कंपनी की खरीद की हो। दूरसंचार विभाग के एक अधिकारी ने बताया, 'ट्रेडिंग रूल्स स्पष्ट कहते हैं कि दूरंसचार विभाग किसी एक या फिर दोनों ऑपरेटर्स से बकाया राशि की मांग कर सकता है। अब जियो ने अपनी शर्तें रख दी हैं। ऐसे में इस डील को स्वीकार नहीं किया जा सकता।'
अधिकारी ने कहा कि गेंद अब उनके पाले में है। दोनों कंपनियों को तय करना होगा और फिर दोबारा डील की मंजूरी के लिए संपर्क कर सकते हैं। इस डील को मंजूरी न मिलने से संबंधित सवालों को लेकर जियो और रिलायंस कॉम्युनिकेशंस ने कोई जवाब नहीं दिया है।