Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Jun, 2020 10:16 AM
आरबीआई कोविड-19 और लॉकडाउन से गहरे संकट में फंसे कई उद्योग क्षेत्रों को कर्ज पुनर्गठन से राहत देने पर मंथन कर रहा है। अगस्त में लोन मोरेटोरियम सुविधा खत्म होने के बाद उद्योगों को यह सौगात मिलने की उम्मीद है।
नई दिल्लीः आरबीआई कोविड-19 और लॉकडाउन से गहरे संकट में फंसे कई उद्योग क्षेत्रों को कर्ज पुनर्गठन से राहत देने पर मंथन कर रहा है। अगस्त में लोन मोरेटोरियम सुविधा खत्म होने के बाद उद्योगों को यह सौगात मिलने की उम्मीद है। कर्ज पुनर्गठन योजना का लाभ उठाने वाले क्षेत्रों में होटल, टूरिज्म, विमानन और निर्माण सबसे आगे हैं।
सूत्रों के अनुसार, भारतीय बैंक एसोसिएशन और अन्य संगठनों ने सरकार व आरबीआई से उद्योगों के कर्ज का एक बार पुनर्गठन करने की मांग की थी। सुझावों पर गौर करने के बाद रिजर्व बैंक सरकार के साथ इस योजना पर मंथन कर रहा है। अनुमान है कि अगस्त में छह महीने की ईएमआई मोरेटोरियम सुविधा खत्म होने के बाद महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों को यह सुविधा दी जा सकती है।
इसके तहत उद्योगों को डिफॉल्ट होने से बचाया जा सकेगा, साथ ही बैंकों पर भी बैड लोन का भार नहीं बढ़ेगा। कर्ज पुनर्गठन होता है, तो ईएमआई की किस्त, ब्याज, लोन की अवधि या लोन की राशि में बदलाव किया जा सकेगा। आरबीआई ने पिछले वित्तवर्ष में भी 5 लाख से ज्यादा एमएसएमई को कर्ज पुनर्गठन का लाभ दिया था।
प्रभावित क्षेत्रों के लिए राहत पैकेज का दूसरा चरण जरूरी: एसबीआई
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि शेयर बाजार में उछाल को अर्थव्यवस्था में सुधार का संकेत नहीं माना जा सकता है। महामारी से प्रभावित क्षेत्रों के लिए राहत पैकेज का दूसरा चरण जरूरी है। मोरेटोरियम सुविधा खत्म होने के बाद सितंबर से बैंकों का एनपीए बढ़ने लगेगा।
कृषि क्षेत्र पर भी ज्यादा निर्भरता नहीं रह सकती। अगर यह 1951-52 की 15.6 फीसदी की सबसे तेज वृद्धि भी हासिल करता है, तो भी विकास दर को 2 फीसदी का सहारा दे सकेगा। लिहाजा सरकार को राहत पैकेज के दूसरे चरण के बारे में सोचना होगा। खर्च में बड़ी गिरावट आई है, जो प्रति क्रेडिट कार्ड 12 हजार से 3,600 पर और प्रति डेबिट कार्ड 1 हजार से 350 रुपए पर आ गई है।