अमेजन को झटका, फ्यूचर-रिलायंस रिटेल सौदे पर नियामक लें फैसला: दिल्ली उच्च न्यायालय

Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Dec, 2020 04:07 PM

delhi high court dismisses future retail petition seeking to stop amazon

देश के सबसे बड़े रिटेल सौदे की राह में आ रही बाधाओं के दूर होने का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है। सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने फ्यूचर ग्रुप और अमेजन विवाद मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए नियामकों को निर्देश दिया है

बिजनेस डेस्कः देश के सबसे बड़े रिटेल सौदे की राह में आ रही बाधाओं के दूर होने का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है। सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने फ्यूचर ग्रुप और अमेजन विवाद मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए नियामकों को निर्देश दिया है कि वे फ्यूचर ग्रुप के आवेदन और आपत्तियों पर कानून के अनुसार निर्णय करें। न्यायालय ने हालांकि फ्यूचर रिटेल लिमिटेड की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने गुहार लगाई थी कि अमेजन को नियामकों से बातचीत करने से रोका जाए।

 

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न्यायाधीश मुक्ता गुप्ता ने आज फ्यूचर ग्रुप की वह याचिका तो खारिज कर दी जिसमें सौदे को लेकर अमेजॉन को नियामकों से बातचीत नहीं करने के निर्देश का आग्रह किया गया था। न्यायाधीश गुप्ता ने इसके साथ ही सौदे पर नियामकों से फ्यूचर ग्रुप की आपत्तियों और आवेदन के अनुसार निर्णय का निर्देश भी दिया। इससे पहले 20 नवंबर की सुनवाई में न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। 20 नवंबर को सुनवाई के दौरान न्यायालय ने दोनों पक्षों को अपनी दलीलें पेश करने का निर्देश दिया था। इस सौदे पर 25 अक्तूबर को सिंगापुर की एक मध्यस्थता अदालत ने अंतरिम रोक लगा दी थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने नियामकों को इस विवाद पर निर्णय करने का आदेश दे कर सकेत दिया है कि मामले को भारतीय कानून व्यवस्था के तहत ही सुलझाया जाएगा।

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अमेजन ने फेमा और FDI नियमों का किया उल्लधंन 
दिल्ली उच्च न्यायालय ने माना है कि रिलायंस को सौदे की मंजूरी देने वाला फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) बोडर् प्रस्ताव मान्य है और पहली नजर में वैधानिक प्रावधानों के अनुसार नजर आता है। अमेजन ने इसे अमान्य करार दिया था। न्यायाधीश गुप्ता ने 132 पन्नों के अपने आदेश में यह भी कहा कि अमेजन ने फेमा और एफडीआई के नियमों का उल्लधंन किया है। अमेजन ने विभिन्न समझौते करके एफआरएल पर नियंत्रण करने की कोशिश की जिसे सही नही ठहराया जा सकता। न्यायालय ने कहा कि अगर फ्यूचर और रिलायंस को अमेजन की वजह से नुकसान उठाना पड़ा है तो उस पर सिविल कारर्वाई भी हो सकती है। अब यह मामला भारतीय प्रतिभूति नियामक आयोग (सेबी) नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) और अन्य नियामकों के पाले में आ गया है। उन्हें इस मामले पर फैसला लेने की हरी झंडी न्यायालय से मिल चुकी है। इससे पहले, 20 नवंबर को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और फ्यूचर समूह के सौदे को मंजूरी दे दी थी। जिसके बाद दोनों कंपनियां सौदे को अंतिम रूप देने में जुट गई हैं। 

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24,713 करोड़ रुपए में हुआ था सौदा
सीसीआई के फैसले से भी अमेरिकी दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन को तगड़ा झटका लगा था। रिलायंस इंडस्ट्रीज की सब्सिडायरी कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (आरआरवीएल) ने इस साल अगस्त में फ्यूचर ग्रुप के रिटेल एंड होलसेल बिजनेस और लॉजिस्टिक्स एंड वेयरहाउसिंग बिजनेस के अधिग्रहण का एलान किया था। इस डील के बाद फ्यूचर ग्रुप के 420 शहरों में फैले हुए 1,800 से अधिक स्टोर्स तक रिलायंस की पहुंच बन जाती। यह डील 24713 करोड़ में फाइनल हुई थी।  

 

 

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