Edited By jyoti choudhary,Updated: 02 Jun, 2020 04:14 PM
दिल्ली हाईकोर्ट ने पेटीएम की याचिका पर केंद्र, ट्राई और दूरसंचार कंपनियों को नोटिस दिया। याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि मोबाइल कंपनियां अपने नेटवर्क पर ग्राहकों के साथ
नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने पेटीएम की याचिका पर केंद्र, ट्राई और दूरसंचार कंपनियों को नोटिस दिया। याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि मोबाइल कंपनियां अपने नेटवर्क पर ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी से जुड़ी गतिविधियों को नहीं रोक रही हैं।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने संचार मंत्रालय, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण और एयरटेल, रिलायंस जियो, एमटीएनएल, बीएसएनएल और वोडाफोन सहित प्रमुख मोबाइल सेवा प्रदाताओं को नोटिस जारी किया और 24 जून को होने वाली अगली सुनवाई से पहले अपना पक्ष रखने की मांग की है।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर आचार्य और केंद्र सरकार के स्थायी वकील अनुराग अहलूवालिया ने मंत्रालय की ओर से नोटिस स्वीकार किया। पेटीएम का संचालन करने वाले वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड ने दावा किया कि उसके लाखों ग्राहकों को मोबाइल नेटवर्क पर फिशिंग गतिविधियों से धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा।
याचिका में पेटीएम ने आरोप लगाया कि टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स ऐसे हैंडसेट यूजर्स के फोन नंबर को ब्लॉक नहीं कर रहे हैं, जो मोबाइल से पेटीएम ग्राहकों को कॉल, मैसेज या फिर मेल करके धोखाधड़ी करते हैं। इसके चलते पेटीएम कंपनी को वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ा रहा है। साथ ही उसकी साख कम हो रही है। याचिका में पेटीएम ने टेलीकॉम कंपनियों से 100 करोड़ रुपए के हर्जाने की मांग की है।
बता दें कि फिशिंग एक साइबर अपराध है, जहां लोगों को ईमेल, फोन कॉल या किसी व्यक्ति के जरिए संपर्क किया जाता है और किसी संगठन या किसी वित्तीय संस्थान का प्रतिनिधि बनकर लोगों से उनकी बैंकिंग और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी संवेदनशील जानकारी चुरा ली जाती है।
पेटीएम की तरफ से अधिवक्ता करुणा नंदी ने यह दलील दी है कि टेलीकॉम कमर्शियल कम्युनिकेशंस कस्टमर प्रिवेंशंस रेगुलेशंस (टीसीसीसीपीआर) 2018 के तहत टेलिकॉम कंपनियां अपने दायित्वों का उल्लंघन कर रही हैं, जिसे ट्राई ने अनचाहे कमर्शियल कम्युनिकेशंस की समस्या को रोकने के लिए अधिसूचित किया था।