बजट से उम्मीदें: 75 लाख रुपये तक के आवास पर एक प्रतिशत जीएसटी करने की मांग

Edited By vasudha,Updated: 22 Jan, 2020 01:32 PM

demand for one percent gst on housing up to rs 75 lakh

आवास क्षेत्र की सुस्ती से निपटने के लिए इस उद्योग से जुड़े कारोबारियों ने किफायती आवास पर एक प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के प्रावधान का दायरा बढ़ाकर इसमें 75 लाख रुपये तक के आवास को शामिल करने की मांग की है। पिछले कुछ वर्षों से आवास क्षेत्र...

बिजनेस डेस्क: आवास क्षेत्र की सुस्ती से निपटने के लिए इस उद्योग से जुड़े कारोबारियों ने किफायती आवास पर एक प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के प्रावधान का दायरा बढ़ाकर इसमें 75 लाख रुपये तक के आवास को शामिल करने की मांग की है। पिछले कुछ वर्षों से आवास क्षेत्र में जारी सुस्ती को दूर करने के उद्देश्य से सरकार ने 60 वर्ग मीटर में बनने वाले 45 लाख रुपये तक के आवास पर जीएसटी घटाकर एक प्रतिशत कर दिया है। 

 

उद्योग का कहना है कि इस वर्ष अफोर्डेबल मकान खरीदने वालों का रुझान बढ़ाने के लिए इस सीमा को 65 से 75 लाख रुपये तक बढ़ाना चाहिये। उसने आवास ऋण पर आयकर में ब्याज छूट को भी 5 लाख रुपये से बढ़ाने की मांग की है। आवास क्षेत्र की अग्रणी परामर्शदात्री कंपनी इन्वेस्टर्स क्लीनिक के संस्थापक हनी कात्याल ने कहा कि 45 लाख रुपये तक की कीमत का अफोर्डेबल घर खरीदने पर अभी एक प्रतिशत जीएसटी लगता है। इस लाभ की सीमा को 60 वर्गमीटर के कॉर्पेट क्षेत्र वाले घर के लिए बढ़ाकर 65-75 लाख रुपये किया जाना चाहिये। युवा लखपतियों के बीच  अफोर्डेबल घर खरीदने की मांग बढ़ रही है। अफोर्डेबल आवास ऋण पर ब्याज दर को भी घटाकर सात प्रतिशत किया जाना चाहिये। वर्ष 2020 में इस वर्ग में आवास की माँग बढ़ने की अच्छी संभावनाएं हैं।

 

आयकर में गृह आवास ऋण की सीमा को 5 लाख रुपये से बढ़ाने से भी बिक्री बढ़ाने में मदद मिलेगी। निजी आयकर छूट को बढ़ाकर  अफोर्डेबल वर्ग में तरलता बढ़ेगी। व्यावसायिक अचल संपत्ति क्षेत्र में गतिविधियों को देखते हुए प्रोढ़ी के संस्थापक रितकृत जैन ने कहा कि परियोजनाओं पर जीएसटी को लेकर और स्पष्टता की जरूरत है। व्यावसायिक संपत्ति क्षेत्र में बिक्री की बजाय लीज का प्रचलन बढ़ा है और विकसित संपत्तियों की किराये पर अधिक माँग है। लीज पर संपत्ति देने पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है और इसके पीछे कारण सेवा बताया जाता है। इसे हटाने की जरूरत है। इसकी वजह से अनावश्यक बोझ बढ़ता है जिसके कारण निर्माण की लागत बढ़ जाती है। जब वर्तमान में इस क्षेत्र में तरलता का संकट है यह नकदी के लिए भी चुनौती है।

 

‘होम एंड सोल' की मुख्य कार्यकारी अधिकारी साक्षी कत्याल ने कहा कि सरकार ने अचल संपत्ति क्षेत्र में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। इसके बावजूद उपभोक्ताओं का रुझान और सकारात्मक सुधार का अभाव नजर आता है। सुधार का फायदा तभी मिलेगा जब अर्थव्यवस्था में सकारात्मक माहौल नजर आये। इसके लिए सरकार को चाहिये कि वह वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए आयकर छूट की सीमा बढ़ाये। इसके अलावा सरकार को पहली बार घर खरीदने वालों के लिए गृह ऋण छह-सात प्रतिशत की घटी ब्याज दर पर उपलब्ध कराना चाहिये। आवास ऋण के कर्ज पर पाँच लाख रुपये की ब्याज सीमा को भी बढ़ाकर मदद की जा सकती है। इसके अलावा रुकी हुई आवास परियोजनाओं के लिए सरकार को 25 हजार करोड़ रुपये की त्वरित मदद मुहैया करानी चाहिये। 

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