विदेशों में भारतीय बासमती की मांग घटी, पाकिस्तानी चावल की बढ़ी

Edited By Supreet Kaur,Updated: 24 Sep, 2018 10:09 AM

demand of indian basmati decreased overseas pakistani rice increased

खेतीबाड़ी में अंधाधुंध कीटनाशकों का बढ़ता प्रयोग विदेशों में भी भारतीय साख को नुक्सान पहुंचा रहा है। कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग के कारण विदेशों में भारतीय बासमती चावल की मांग घट गई है। इसकी जगह पाकिस्तानी चावल की मांग बढ़ती जा रही है। अभी तक...

मेरठः खेतीबाड़ी में अंधाधुंध कीटनाशकों का बढ़ता प्रयोग विदेशों में भी भारतीय साख को नुक्सान पहुंचा रहा है। कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग के कारण विदेशों में भारतीय बासमती चावल की मांग घट गई है। इसकी जगह पाकिस्तानी चावल की मांग बढ़ती जा रही है। अभी तक भारतीय बासमती चावल की खाड़ी और यूरोप के देशों में बहुत मांग थी। चावल उत्पादन में दुनिया में चीन पहले और भारत दूसरे स्थान पर है। दुनिया का 20 प्रतिशत चावल अकेले भारत में पैदा होता है। पूरे देश में उत्तर प्रदेश का चावल उत्पादन में तीसरा स्थान है। वर्ष 2017-18 में भारत से चावल का बड़ा निर्यात विदेशों में किया गया लेकिन इसमें बासमती चावल के निर्यात की बजाय सामान्य चावल का निर्यात बढ़ा।

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कीटनाशकों ने घटाया रुतबा
फसलों में कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग बढऩे से भारतीय बासमती की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। इससे यूरोपीय और खाड़ी देशों में भारतीय बासमती की मांग में कमी आई है। मेरठ के मोदीपुरम स्थित बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान ‘बी.ई.डी.एफ.’ के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा का कहना है कि भारत में बासमती की फसल में अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग किया जा रहा है। इस कारण भारतीय बासमती की गुणवत्ता कम होती जा रही है। भारतीय बासमती की बजाय पाकिस्तानी बासमती की मांग बढ़ रही है और यूरोप में कभी महंगा बिकने वाला भारतीय बासमती अब सस्ता बिकने लगा है।

जांच में ज्यादा पाए गए कीटनाशक
वैज्ञानिकों का कहना है कि यूरोप में हुई भारतीय बासमती चावल की जांच में कीटनाशकों की मात्रा बहुत अधिक पाई गई। साथ ही उस चावल में दुर्गंध भी आती है। इस कारण खाड़ी और यूरोपीय देशों में भारतीय बासमती की मांग घटती जा रही है। भारत के मुकाबले पाकिस्तान में कीटनाशकों का प्रयोग कम हो रहा है।

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किसानों को भ्रमित कर रही कम्पनियां
कृषि विज्ञान केन्द्र हस्तिनापुर के वैज्ञानिक डॉ. संदीप चौधरी और कृषि विज्ञान केन्द्र नोएडा के वैज्ञानिक डॉ. मयंक राय का कहना है कि कीटनाशक दवा कम्पनियों के अधिकारी किसानों को भ्रमित करते हैं और कीटनाशक का प्रयोग नहीं करने से बैक्टीरिया लगने की बात कहते हैं। इससे भ्रम में फंसकर किसान अधिक कीटनाशकों का प्रयोग करने लगता है, जबकि असल में अधिक कीटनाशकों के प्रयोग से फसल खराब होती है।

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