Edited By ,Updated: 29 Jul, 2016 02:22 PM
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन.जी.टी.) के दिल्ली में डीजल व्हीकल्स की सेल्स को बैन करने का फैसला कार कम्पनियों के लिए झटके से कम नहीं है।
नई दिल्लीः राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन.जी.टी.) के दिल्ली में डीजल व्हीकल्स की सेल्स को बैन करने का फैसला कार कम्पनियों के लिए झटके से कम नहीं है। एन.जी.टी. का फैसला डीजल कार कम्पनियों को प्रभावित करेगा। कम्पनियों की ओर से भारतीय ऑटोमोबाइल मार्कीट में किए जाने वाले इन्वेस्टमेंट पर दोबारा विचार कर रही हैं। एन.जी.टी. के फैसलों से डीजल कारों की डिमांड भी तेजी से घट गई है।
डीजल कारों पर प्रतिबंध कम्पनी को मृत्युदंड देने जैसा: टोयोटा
वहीं टोयोटा ने एन.जी. टी. का दरवाजा खटखटाते हुए कहा है कि देश भर में डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का विचार ‘कम्पनी को मृत्युदंड देने’ जैसा है क्योंकि इससे कम्पनी के अस्तित्व पर ही आघात लगता है।
सरकार की मेक इन इंडिया के तहत तय पॉलिसी की कम्पनियां भारत आएं और नियमों के मुताबिक निर्माण करें। अगर कम्पनियां वाहनों को नियमों के मुताबिक बना रही हैं तो कोर्ट को ऐसे मामलों की सुनवाई नहीं करनी चाहिए।
फ्यूचर इन्वेस्टमेंट पर उठे सवाल
एन.जी.टी. के 10 साल से पुरानी डीजल गाड़ियों को दिल्ली-एन.सी.आर. में बैन करने वाले आदेश के बाद दुनिया की सबसे बड़ी टोयोटा ने संकेत दिए हैं वह अपने इन्वेस्टमेंट प्लान को रोक सकती है। कम्पनी ने एन.जी. टी. का दरवाजा खटखटाते हुए कहा है कि देश भर में डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का विचार ‘कम्पनी को मृत्युदंड देने’ जैसा है क्योंकि इससे कम्पनी के अस्तित्व पर ही आघात लगता है। कम्पनी के मुताबिक, भारत में नए इन्वेस्टमेंट को रोक दिया जाएगा।
हौंडा भी डीजल कारों की डिमांड से काफी निराश है और भारत में कम्पनी का सेल्स प्लान रूक गया है। हौंडा ने कहा कि वह डीजल वेरिएंट्स के मामले में भविष्य को लेकर खास उत्साहित नहीं है और न ही पूरे विश्वास के साथ प्लान कर सकते हैं।
डीजल कारों का घटा मार्कीट
हालांकि, आंकड़ों से भी पता चलता है कि साल 2010 में कुल पैसेंजर इंडस्ट्री में पैट्रोल कारों का वॉल्यूम 65 फीसदी था और डीजल का मार्कीट 35 फीसदी। 2015 में यह पैट्रोल कारों की सेल्स 52 फीसदी हो गई जबकि डीजल व्हीकल्स की सेल्स तेजी से बढ़ते हुए 48 फीसदी हो गई।
मेक इन इंडिया हो रहा है प्रभावित
दिल्ली में डीजल टैक्सियों पर बैन से केंद्र सरकार के मेक इन इंडिया प्रोग्राम पर असर पड़ेगा। यह सीधे तौर पर देश की इकोनॉमी को भी नुक्सान पहुंचाने वाला कदम है।