Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Mar, 2018 01:21 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 में चुनाव में दूसरी बार जीत हासिल करने की तैयारी कर रहे हैं। सरकार ने 1 अप्रैल से शुरू हो रहे वित्त वर्ष में व्यापक बुनियादी ढांचा खर्च का लक्ष्य रखा है। विशेषज्ञों द्वारा अंदाजा लगाया जा रहा है कि वर्ष 2018 में डीजल...
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 में चुनाव में दूसरी बार जीत हासिल करने की तैयारी कर रहे हैं। सरकार ने 1 अप्रैल से शुरू हो रहे वित्त वर्ष में व्यापक बुनियादी ढांचा खर्च का लक्ष्य रखा है। विशेषज्ञों द्वारा अंदाजा लगाया जा रहा है कि वर्ष 2018 में डीजल की खपत वृद्घि पिछले साल के मुकाबले दोगुनी रह सकती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, 'कुछ घटनाक्रम को छोड़कर औसत मॉनसून की मदद से शानदार जीडीपी वृद्घि की उम्मीद है। इससे भारत में डीजल की खपत वर्ष के अंत तक लगभग 77 लाख टन तक बढ़ने का अनुमान है।' डीजल की मांग में मजबूत वृद्घि इस संदर्भ में दो वर्षों की सुस्ती को समाप्त कर देगी। पिछले दो वर्षों में नोटबंदी से खपत प्रभावित हुई थी। अचानक नोटबंदी के बाद सार्वजनिक खर्च की रफ्तार मंद पड़ गई थी। भारत में डीजल की औसत मासिक खपत वर्ष 2017 में 66 लाख टन या लगभग 16 लाख बैरल प्रति दिन रही। यह 2016 की तुलना में लगभग 3.1 फीसदी तक अधिक है। 2016 में औसत मासिक खपत 64 लाख टन पर रही थी।
बाजार कारोबारियों का कहना है कि भारत में औद्योगिक ईंधन के लिए मांग इस साल 5 से 8 फीसदी के दायरे में बढ़ने का अनुमान है। मोदी सरकार ने ग्रामीण बुनियादी ढांचे पर 221 अरब डॉलर खर्च करने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा अच्छे मॉनसून से भी कृषि को मजबूती मिलेगी, क्योंकि मौसमी बारिश के अल नीनो मौसम पैटर्न से प्रभावित नहीं होने का अनुमान है।