Edited By jyoti choudhary,Updated: 05 Sep, 2020 02:05 PM
प्रत्यक्ष कर संग्रह के मामले में भारत की सिलिकन वैली बेंगलूरू उम्मीद की एकमात्र किरण बनकर उभरा है। टेक कंपनियों पर कोविड-19 लॉकडाउन का व्यापक तौर पर कोई असर नहीं पड़ा है, ऐसे में बेंगलूरु में कर संग्रह 7 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि कुल
नई दिल्लीः प्रत्यक्ष कर संग्रह के मामले में भारत की सिलिकन वैली बेंगलूरू उम्मीद की एकमात्र किरण बनकर उभरा है। टेक कंपनियों पर कोविड-19 लॉकडाउन का व्यापक तौर पर कोई असर नहीं पड़ा है, ऐसे में बेंगलूरु में कर संग्रह 7 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि कुल मिलाकर प्रत्यक्ष कर संग्रह में 30 प्रतिशत की गिरावट आई है।
बेंगलूरु एकमात्र क्षेत्र है, जहां पिछले साल की समान अवधि की तुलना में प्रत्यक्ष कर संग्रह में वृद्धि हुई है, जबकि कोलकाता 66 प्रतिशत की गिरावट के साथ कर संग्रह में कमी का अगुआ बनकर उभरा है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक 2 सितंबर तक प्रत्यक्ष कर संग्रह पर शुद्ध रिफंड 1.9 लाख करोड़ रुपए रहा है, जो पिछले साल की समान अवधि में 2.71 लाख करोड़ रुपए था। महामारी के पहले रखे गए 13.19 लाख करोड़ रुपए का बजट लक्ष्य पूरा करने के लिए चालू वित्त वर्ष के शेष 7 महीनों में कर संग्रह में 44.3 प्रतिशत बढ़ोतरी करने की जरूरत है। सूचना तकनीक के केंद्र बेंगलूरु का कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह में योगदान 16 प्रतिशत है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'बेंगलूरु एकमात्र क्षेत्र है, जहां प्रत्यक्ष कर संग्रह में धनात्मक वृद्धि हुई है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि यह सूचना तकनीक का केंद्र है, जो लॉकडाउन से बहुत प्रभावित नहीं हुआ है। दरअसल इस दौरान ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों का कारोबार बढ़ा है। कमोबेश इन आईटी कंपनियों को विदेशी ग्राहकों से ज्यादा काम मिला है, जिन्होंने अपनी कमाई का विविधीकरण किया है।'
कोच्चि में संग्रह में 47 प्रतिशत, अहमदाबाद में 46 प्रतिशत, चेन्नई में 43 प्रतिशत, दिल्ली में 38 प्रतिशत और हैदराबाद में 32 प्रतिशत की कमी आई है। मुंबई का इन क्षेत्रों में में बेहतर प्रदर्शन रहा है, जहां गिरावट 20 प्रतिशत रही है। सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 2.9 लाख करोड़ रुपए रहा है, जो पिछले साल की समान अवधि में हुए 3.69 लाख करोड़ रुपए की तुलना में 21 प्रतिशत कम है। इस अवधि के दौरान आयकर विभाग ने 1 लाख करोड़ रुपए रिफंड जारी किए हैं, जो पिछले साल की समान अवधि में जारी 98,000 करोड़ रुपए की तुलना में 2 प्रतिशत ज्यादा है।
कर अधिकारी इस वित्त वर्ष में कर संग्रह का लक्ष्य कम किए जाने को लेकर आधिकारिक सूचना की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो तेज आर्थिक गिरावट के हिसाब से हो। भारत की अर्थव्यवस्था में इससे पहले कभी 23.9 प्रतिशत की गिरावट नहीं हुई थी, जो चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में हुई है। इसमें अहम भूमिका महामारी की है।
अग्रिम कर की दूसरी किस्त 15 सितंबर तक देनी है। अग्रिम कर का मतलब है कि धन कमाने के साथ कर भुगतान कर दिया जाए, न कि वित्त वर्ष का इंतजार किया जाए। पहली किस्त का भुगतान 15 जून (15 प्रतिशत) को किया गया, जबकि दूसरी किस्त 15 सितंबर को (45 प्रतिशत) और तीसरी किस्त 15 दिसंबर तक (75 प्रतिशत) और पूरा भुगतान 15 मार्च तक करना होता है।
2019-20 में प्रत्यक्ष कर संग्रह का पुनरीक्षित लक्ष्य 1.17 लाख करोड़ रुपए कम कर दिया गया था। इसके बावजूद कर संग्रह में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 7.8 प्रतिशत की गिरावट आई है।एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'प्रत्यक्ष कर संग्रह आर्थिक गतिविधि से जुड़ा हुआ है। जीडीपी वृद्धि -23.9 प्रतिशत रही है, ऐसे में कोई भी कर बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं कर सकता है। बहरहाल अधिकारियों को वास्तविक लक्ष्य रखकर काम करना चाहिए और वित्त वर्ष के लिए नए सिरे से कर संग्रह की रणनीति तैयार करनी चाहिए।'
प्रत्यक्ष कर और जीडीपी का अनुपात गिरकर 2019-20 में 14 साल के निचले स्तर 5.1 प्रतिशत पर है, जबकि अप्रत्यक्ष कर औ्र जीडीपी का अनुपात 5 साल के निचले स्तर पर है। 2019-20 में सिर्फ एक सप्ताह ही लॉकडाउन रहा है, उसके बावजूद ऐसी स्थिति है। प्रत्यक्ष कर संग्रह में करीब 45 प्रतिशत राजस्व अग्रिम कर, 35 प्रतिशत टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती), 10 प्रतिशत स्वत: आकलन और 10 प्रतिशत रिकवरी से आता है।