रियल एस्टेट क्षेत्र की मदद के लिए सरकार के कदमों से निराश: क्रेडाई

Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Sep, 2019 10:47 AM

disappointed by government s steps to help real estate sector credai

रियल एस्टेट डेवलपरों के शीर्ष संगठन क्रेडाई ने उद्योग जगत की मदद के लिए उठाए गए सरकार के कदमों पर निराशा जतायी। उसने कहा कि घर खरीदारों और डेवलपरों के लिए कम ब्याज दर और कर छूट जैसी प्रमुख मांगों पर विचार नहीं किया गया है।

नई दिल्लीः रियल एस्टेट डेवलपरों के शीर्ष संगठन क्रेडाई ने उद्योग जगत की मदद के लिए उठाए गए सरकार के कदमों पर निराशा जतायी। उसने कहा कि घर खरीदारों और डेवलपरों के लिए कम ब्याज दर और कर छूट जैसी प्रमुख मांगों पर विचार नहीं किया गया है। क्रेडाई के चेयरमैन जक्षय शाह ने कहा कि रुकी हुई परियोजनाओं के लिए बनाए गए कोष का प्रभाव सीमित होगा क्योंकि यह उन परियोजनाओं के लिए नहीं हैं जो दिवाला प्रक्रिया का सामना कर रही हैं या गैर-निष्पादित आस्तियां बन चुकी हैं।

शाह ने रविवार को कहा कि पिछले माह वित्त मंत्री के साथ हुई बैठक में उन्होंने कई मांगे रखी थीं। इसमें नकदी की स्थिति को बेहतर बनाने और रियल एस्टेट क्षेत्र में मांग तेज करने की बात कही गई थी लेकिन अफसोस, सरकार की हालिया घोषणाओं में इनमें से किसी को भी शामिल नहीं किया गया। क्रेडाई के 12,000 सदस्य हैं।

शाह ने कहा कि सरकार को ब्याज सहायता योजना पर प्रतिबंध के निर्णय को वापस लेना चाहिए क्योंकि इससे घर खरीदार को फायदा होता है और यह मांग बढ़ाने में मदद करती है। जुलाई में राष्ट्रीय आवास बैंक ने आवास वित्त कंपनियों को ब्याज सहायता योजना के तहत ऋण देने से रोक दिया था। इस तरह की योजनाओं में मकान पर कब्जा मिलने तक रियल एस्टेट डेवलपर घर खरीदार की ओर से ब्याज का भुगतान करता है। शाह ने कहा कि सरकार को आवास ऋण ब्याज पर डेढ़ लाख रुपए की अतिरिक्त छूट का लाभ वाले प्रावधान में संपत्ति के मूल्य की 45 लाख रुपए की सीमा को हटा देना चाहिए।

सरकार ने इस साल बजट में प्रावधान किया था कि 45 लाख रुपए तक मूल्य वाले सस्ते आवास की खरीद पर घर खरीदार को आयकर कानून के तहत दो लाख रुपए की पहले से प्राप्त ब्याज छूट के अलावा डेढ़ लाख रुपए की अतिरिक्त ब्याज छूट मिलेगी। अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए आर्थिक राहत की तीसरी खेप की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि उन रुकी हुई आवासीय परियोजनाओं के लिए 20,000 करोड़ रुपए का ‘दबाव वाली परिसंपत्ति कोष' बनाया जाएगा जो अभी गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में नहीं बदली हैं या जो राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के तहत दिवाली प्रक्रिया का सामना नहीं कर रही हैं। ऐसी परियोजनाओं को सस्ता आवास या मध्य आयवर्ग श्रेणी के आवासों के लिए यह वित्तीय सहायत इस कोष से उपलब्ध करायी जाएगी। इसमें 10,000 करोड़ रुपए केंद्र सरकार देगी और बाकी बाहरी निवेशकों से जुटाया जाएगा। 

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