डिस्कॉम पर बिजली कंपनियों का 47 फीसदी बकाया, चुकाने हैं 1.33 लाख करोड़ रुपये

Edited By rajesh kumar,Updated: 02 Aug, 2020 04:29 PM

discoms owe 47 percent of electricity companies to pay rs 1 33 lakh crore

बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) का कुल बकाया जून, 2020 में सालाना आधार पर 47 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 1.33 लाख करोड़ रुपये हो गया है। जून, 2019 तक डिस्कॉम पर बिजली वितरण कंपनियों का बकाया 90,655 करोड़ रुपये था।

नई दिल्ली: बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) का कुल बकाया जून, 2020 में सालाना आधार पर 47 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 1.33 लाख करोड़ रुपये हो गया है। जून, 2019 तक डिस्कॉम पर बिजली वितरण कंपनियों का बकाया 90,655 करोड़ रुपये था। प्राप्ति (पेमेंट रैटिफिकेशन एंड एनालिसिस इन पावर प्रोक्यूरमेंट फॉर ब्रिंगिंग ट्रांसपैरेंसी इन इन्वायसिंग ऑफ जेनरेशन) पोर्टल से यह जानकारी मिली है।

बिजली उत्पादकों तथा वितरकों के बीच बिजली खरीद लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए यह पोर्टल मई, 2018 में शुरू किया गया था। जून, 2020 तक 60 दिन की अनुग्रह या ग्रेस की अवधि के बाद भी डिस्कॉम पर बकाया राशि 1,20,041 करोड़ रुपये थी। यह एक साल पहले 72,362 करोड़ रुपये थी। पोर्टल के ताजा आंकड़ों के अनुसार, जून में कुल बकाया इससे पिछले महीने की तुलना में बढ़ा है। मई में डिस्कॉम पर कुल बकाया 1,26,963 करोड़ रुपये था। जून, 2020 में भुगतान की मियाद अवधि समाप्त होने के बाद डिस्कॉम पर बकाया राशि मई के 1,13,869 करोड़ रुपये से बढ़ी है।

बिजली उत्पादक कंपनियां डिस्कॉम को बेची गई बिजली के बिल का भुगतान करने के लिए 60 दिन का समय देती हैं। उसके बाद यह राशि पुराने बकाये में आ जाती है। ज्यादातर ऐसे मामलों में बिजली उत्पादक दंडात्मक ब्याज वसूलते हैं। बिजली उत्पादक कंपनियों को राहत के लिए केंद्र ने एक अगस्त, 2019 से भुगतान सुरक्षा प्रणाली लागू है। इस व्यवस्था के तहत डिस्कॉम को बिजली आपूर्ति पाने के लिए साख पत्र देना होता है। केंद्र सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों को भी कुछ राहत दी है। कोविड-19 महामारी की वजह से डिस्कॉम को भुगतान में देरी के लिए दंडात्मक शुल्क को माफ कर दिया है।

सरकार ने मई में डिस्कॉम के लिए 90,000 करोड़ रुपये की नकदी डालने की योजना पेश की थी। इसके तहत बिजली वितरण कंपनियां पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन तथा आरईसी लि. से सस्ता कर्ज ले सकती हैं। इस पहल से बिजली उत्पादक कंपनियों को भी राहत मिलेगी। बताया जाता है कि कुछ राज्यों के आग्रह पर सरकार इस पैकेज को बढ़ाकर 1.25 लाख करोड़ रुपये करने जा रही है। आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु की बिजली वितरण कंपनियों का उत्पादक कंपनियों के बकाये में सबसे अधिक हिस्सा है।

भुगतान की मियाद की अवधि समाप्त होने के बाद जून तक डिस्कॉम पर कुल 1,20,041 करोड़ रुपये का बकाया हैं। इसमें स्वतंत्र बिजली उत्पादकों का हिस्सा 34.78 प्रतिशत है। वहीं केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम क्षेत्र की जेनको का बकाया 36.58 प्रतिशत है। सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में अकेले एनटीपीसी को ही डिस्कॉम से 19,298.77 करोड़ रुपये वसूलने हैं। एनएलसी इंडिया का बकाया 6,280.76 करोड़ रुपये, दामोदर वैली कॉरपोरेशन का 5,570.99 करोड़ रुपये, एनएचपीसी का 3,518.97 करोड़ रुपये तथा टीएचडीसी इंडिया का बकाया 2,551.32 करोड़ रुपये है। निजी बिजली उत्पादक कंपनियों में अडाणी पावर का बकाया 22,319.41 करोड़ रुपये, बजाज समूह की ललितपुर पावर जेनरेशन कंपनी का 3,884.91 करोड़ रुपये, एसईएमबी (सेम्बकॉर्प) का 2,210.22 करोड़ रुपये तथा जीएमआर का 1,930.16 करोड़ रुपये है। गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों मसलन सौर और पवन ऊर्जा कंपनियों का बकाया 10,111.33 करोड़ रुपये है।

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