त्यौहारी खर्च में होगी 43 फीसदी की कमी

Edited By ,Updated: 09 Nov, 2015 05:17 PM

diwali assocham

खाद्य पदार्थों की आसमान छू रही कीमत, रोजगार के अवसरों की कमी एवं शिक्षा पर बढ़े खर्च के कारण त्यौहारी सीजन में मध्यम एवं निम्न आय वर्ग के परिवार पिछले साल की तुलना में 43 प्रतिशत कम खर्च करेंगे।

नई दिल्लीः खाद्य पदार्थों की आसमान छू रही कीमत, रोजगार के अवसरों की कमी एवं शिक्षा पर बढ़े खर्च के कारण त्यौहारी सीजन में मध्यम एवं निम्न आय वर्ग के परिवार पिछले साल की तुलना में 43 प्रतिशत कम खर्च करेंगे। 

उद्योग एवं वाणिज्य संगठन एसोचैम की जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के मध्यम एवं निम्न आय वर्ग में 67 प्रतिशत से अधिक लोगों ने कहा कि वे इस साल फैस्टिव सीजन में कम खर्च करेंगे। खाद्य पदार्थों के दाम में बेतहाशा वृद्धि, मंहगी शिक्षा, नौकरी के अवसरों में कमी एवं आमदनी में कटौती के कारण इस साल त्यौहार का रंग पिछले साल की तुलना में फीका रहेगा। द्वारा दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, हैदराबाद, पुणे, चंडीगढ़ एवं देहरादून समेत कई अन्य शहरों में कराए गए सर्वे में 1650 लोगों से ऑटोमोबाइल, जैव तकनीक, बैंकिंग, वित्तीय सेवा एवं बीमा, ऊर्जा, रोजमर्रा की उपभोक्ता वस्तुएं, सूचना तकनीक, दवा और रियल एस्टेट आदि क्षेत्रों में खर्च के बारे में सवाल किए गए और इससे पता चला कि लगभग सभी प्रमुख क्षेत्रों में मांग में गिरवट आई है। उसने कहा कि दिल्ली के लोग इस साल त्यौहारी खर्च में कटौती करने में सबसे आगे हैं। इसके बाद अहमदाबाद, मुंबई, चंडीगढ़, कोलकाता एवं चेन्नई का स्थान है। 

रिपोर्ट के अनुसार कमजोर मानसून, नौकरियों के कम अवसर एवं कम आमदनी के कारण इस साल त्यौहारी मांग में 43 प्रतिशत की गिरावट आएगी। महंगाई एवं अस्थिर अर्थव्यवस्था के कारण भी उपभोक्ता इस दौरान खर्च में कटौती करेंगे। उसने कहा कि पिछले साल मध्यम एवं निम्न आय वर्ग के लोगों ने दिवाली के मौके पर खरीददारी, मिठाइयां, तोहफे आदि के ऊपर अपनी आमदनी का आधा हिस्सा खर्च कर दिया था। 

हालांकि खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ौतरी के कारण लोगों को इस साल अपना खर्च 43 प्रतिशत कम करना पड़ेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, 56 प्रतिशत लोगों ने खाद्य पदार्थों की बढ़ी कीमतों के कारण त्यौहारी खर्च को कम करने की बात की जबकि 21 प्रतिशत लोगों का मानना है कि बचत में गिरावट आने के कारण उन्होंने खर्च में कटौती की है। इसके अनुसार 15 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे बड़ी खरीददारी के लिए बचत कर रहे हैं जबकि करीब 8 प्रतिशत लोगों ने कहा कि ईएमआई के बढऩे से फेस्टिव खर्च प्रभावित हुआ है। 

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