Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 May, 2019 06:20 PM
अमेरिका के 25 प्रभावशाली सांसदों ने ट्रंप प्रशासन से भारत को व्यापार में दी गई सामान्य तरजीही व्यवस्था (जीएसपी) समाप्त नहीं करने का आग्रह किया है। उन्होंने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि राबर्ट लाइटहाइजर से अपील की है कि शुक्रवार को 60
वॉशिंगटनः अमेरिका के 25 प्रभावशाली सांसदों ने ट्रंप प्रशासन से भारत को व्यापार में दी गई सामान्य तरजीही व्यवस्था (जीएसपी) समाप्त नहीं करने का आग्रह किया है। उन्होंने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि राबर्ट लाइटहाइजर से अपील की है कि शुक्रवार को 60 दिन की अवधि समाप्त होने के बाद भी भारत के साथ जीएसपी कार्यक्रम को खत्म नहीं किया जाना चाहिए इसका अमेरिकी कंपनियों पर प्रतिकूल प्रभाव होगा। जीएसपी अमेरिका का सबसे बड़ी और पुरानी व्यापार तरजीही कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम चुनिंदा लाभार्थी देशों के हजारों उत्पादों को शुल्क से छूट देकर आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चार मार्च को घोषणा की थी कि अमेरिका जीएसपी के तहत लाभार्थी विकासशील देश के रूप में भारत का दर्जा समाप्त करना चाहता है। 60 दिन की नोटिस अवधि तीन मई को समाप्त हो रही है। नोटिस अवधि की समाप्ति की पूर्व संध्या पर अमेरिका के 25 सांसदों ने ट्रंप सरकार को भारत के मामले में जीएसपी का दर्जा समाप्त करने के फैसले पर आगे बढ़ने से रोकने के लिए अंतिम प्रयास किया।
सांसदों ने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर को पत्र लिखकर समझौते पर बातचीत जारी रखने का अनुरोध किया है। यह समझौता व्यापार (निर्यात और आयात) पर निर्भर नौकरियों की रक्षा करेगा और बढ़ावा देगा। उन्होंने आग्रह किया कि भारत के लिए सामान्य तरजीही व्यवस्था समाप्त करने से वे अमेरिकी कंपनियां प्रभावित होंगी जो भारत में अपना निर्यात बढ़ाना चाहती हैं।
सांसदों ने कहा कि जीएसपी के तहत मिलने वाले लाभों को खत्म करने से भारत या अमेरिका किसी को भी फायदा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि वे कंपनियां जो जीएसपी के तहत भारत के लिए शुल्क-मुक्त व्यवस्था चाहती हैं, उन्हें नए करों के रूप में करोड़ों डॉलर देने होंगे। अतीत में, जीएसपी लाभों में अस्थायी खामियों की वजह से अमेरिका में कंपनियों को कर्मचारियों की छंटनी, वेतन और लाभ में कटौती करनी पड़ी थी। सांसदों ने कहा, "भारत के लिए जीएसपी खत्म करने से लाभ नहीं बल्कि नुकसान होगा। वें कंपनियां प्रभावित होंगी जो भारत में निर्यात बढ़ाना चाहती हैं।"