सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के हालत में सुधार नहीं, भारी पड़ रहे RBI के नए नियम

Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 May, 2018 01:20 PM

do not improve the condition of the public sector banks

शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र के 3 बैंकों के नतीजे आए। इन बैंकों का घाटा पिछली तिमाही की तुलना में बढ़ गया है। सार्वजनिक क्षेत्र के यूको बैंक का शुद्ध घाटा 31 मार्च 2018 को समाप्त तिमाही में 4 गुना बढ़कर 2,134.36 करोड़ रुपए हो गया। वहीं

नई दिल्लीः शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र के 3 बैंकों के नतीजे आए। इन बैंकों का घाटा पिछली तिमाही की तुलना में बढ़ गया है। सार्वजनिक क्षेत्र के यूको बैंक का शुद्ध घाटा 31 मार्च 2018 को समाप्त तिमाही में 4 गुना बढ़कर 2,134.36 करोड़ रुपए हो गया। वहीं केनरा बैंक के तिमाही नतीजे  भी आ गए हैं। केनरा बैंक को चौथी तिमाही में 4,860 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। एक अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की बड़ी बैंक इलाहाबाद का NPA बढ़ जाने से 3,509.63 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इन बैंकों के नुकसान से स्थिति स्पष्ट है कि हालत सुधरने की बजाय और तेजी से बिगड़ रही है। सिर्फ एनपीए ही नहीं बढ़ा है, बल्कि आय में भी गिरावट दर्ज की गई है। 

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इलाहाबाद बैंक को हुआ नुकसान
इलाहाबाद बैंक के एनपीए के प्रावधान में 3 गुना इजाफा करने से 31 मार्च 2018 को समाप्त तिमाही में एकल आधार पर 3,509.63 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। वित्त वर्ष 2016-17 की समान तिमाही में उसे 111.16 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा हुआ था। इससे पहले दिसंबर तिमाही में भी बैंक को 1,263.79 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। आलोच्य तिमाही के दौरान बैंक की आय 5,105.07 करोड़ रुपए से कम होकर 4,259.88 करोड़ रुपए रह गई है। पूरे वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान बैंक को 4,674.37 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, जबकि आय गिरकर 19,051.05 करोड़ रुपए पर आ गई है। इस दौरान समग्र एनपीए 13.09 प्रतिशत से बढ़कर 15.96 प्रतिशत पर पहुंच गया है। हालांकि शुद्ध एनपीए में कमी आई है और 8.92 प्रतिशत से कम होकर 8.04 प्रतिशत पर आ गया है।

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केनरा बैंक को 4,859.77 करोड़ का नुकसान 
केनरा बैंक के वित्तीय नतीजों को देखें तो पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च, 2018) में बैंक के एनपीए के लिए प्रावधान की गई राशि में 3 गुना बढ़ोतरी हुई है। इसके चलते समीक्षाधीन तिमाही में केनरा बैंक को 4,859.77 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। एक तिमाही पहले (अक्तूबर-दिसंबर, 2017) बैंक ने 126 करोड़ रुपए, जबकि उससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि यानी जनवरी-मार्च, 2017 में 214 करोड़ रुपए का मुनाफा हासिल किया था।

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देना बैंक का शुद्ध घाटा
सार्वजनिक क्षेत्र के देना बैंक की भी यही कहानी रही है। एनपीए में भारी बढ़ोतरी और इसके लिए प्रावधान की राशि बढ़ाने की वजह से बैंक को 1,225.42 करोड़ रुपए की हानि हुई है।

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आरबीआई जिम्मेदार
माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में अन्य सरकारी व निजी बैंकों के आने वाले वित्तीय नतीजे भी कमोबेश ऐसे ही रहेंगे। दरअसल, इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) के नए निर्देशों को जिम्मेदार माना जा रहा है जिसने एनपीए निपटारे के आधा दर्जन पुराने नियमों को खत्म कर दिया है। नए नियम इसलिए लागू किए गए हैं कि बैंक एनपीए की पहचान समय रहते कर सकें। इससे पहले बैंकों को यह सुविधा थी कि वे कर्जदारों को एनपीए चुकाने का एक और मौका देते थे। इससे उस राशि को एनपीए में दिखाने और उसके लिए अलग से राशि समायोजित करने की बाध्यता नहीं थी। नए नियमों के तहत बैंक ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। इससे न केवल एनपीए की राशि बढ़ी है, बल्कि उसके समायोजन के लिए भी बैंकों को ज्यादा रकम रखना पड़ रहा है।

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