तेल पी रहा डॉलर और रुपया मांग रहा पानी

Edited By Supreet Kaur,Updated: 11 May, 2018 10:15 AM

dollar pouring oil and rupee demand water

डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट का दौर जारी है। रुपया 67.37 पर पहुंच गया है, जो गत 15 महीने का सबसे निचला स्तर है। बीते एक सप्ताह से रुपया लगातार 15 महीने के नए निचले स्तर को छू रहा है। मतलब कि गिरावट के नए रिकॉर्ड बना रहा है। ऐसे में यह सवाल जायज...

नई दिल्लीः डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट का दौर जारी है। रुपया 67.37 पर पहुंच गया है, जो गत 15 महीने का सबसे निचला स्तर है। बीते एक सप्ताह से रुपया लगातार 15 महीने के नए निचले स्तर को छू रहा है। मतलब कि गिरावट के नए रिकॉर्ड बना रहा है। ऐसे में यह सवाल जायज है कि आखिर रुपया क्यों गिर रहा है? इसके गिरने की एक अहम वजह यह है कि कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि। कच्चा तेल खरीदने के लिए डॉलर में भुगतान करना पड़ता है। यानी कि तेल डॉलर को पी रहा है और रुपया पानी मांग रहा है। यह सबसे बड़ा कारण है रुपए में गिरावट का। आइए कुछ उन कारणों पर भी नजर डालें जिनकी वजह से रुपया लगातार गिर रहा है।

ट्रम्प ने डाला आग में घी 
कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ौतरी रुपए के गिरने के पीछे एक बड़ी वजह है। पिछले कुछ समय से लगातार कच्चे तेल के दामों में तेजी आ रही है। हाल में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान के साथ परमाणु समझौते तोड़ने का ऐलान कर डाला। इसके चलते कच्चे तेल के दाम करीब अढ़ाई प्रतिशत तक बढ़ गए। क्रूड ऑयल 77 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया। ऐसी आशंका है कि कच्चे तेल के दाम 80 डॉलर प्रति बैरल के पार भी जा सकते हैं। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि आने वाले दिनों में रुपया और गिर सकता है।
PunjabKesari
एक और कारण बढ़ा सकता है मोदी की परेशानी
विशेषज्ञों की मानें तो कच्चे तेल के दाम के अलावा अमरीकी अर्थव्यवस्था का भी रुपए की स्थिति पर गहरा असर पड़ता है। आने वाले समय में अमरीकी इकॉनोमी अगर अच्छा करती है और वहां ब्याज दरें बढ़ती हैं तो भी रुपए पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। मतलब इसमें और अधिक गिरावट दर्ज की जा सकती है।

डॉलर की बढ़ती डिमांड कर जाती है रुपए को कमजोर 
रुपए में गिरावट का एक बड़ा कारण डॉलर की बढ़ती डिमांड भी है। मसलन अगर कच्चे तेल के दाम बढ़ते हैं तो डॉलर की डिमांड स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है। इसके अलावा एक कारण यह भी है कि भारत में इस समय निर्यात की तुलना में आयात ज्यादा हो रहा है। जब भी आप आयात करते हैं आपको डॉलर ज्यादा खरीदना पड़ता है। जाहिर है ऐसे में करंसी मार्कीट में डॉलर का प्रभाव बढ़ता है और रुपए में गिरावट आती है।

फॉरेन इन्वैस्टर्स ने निकाले करीब साढ़े 3 अरब डॉलर 
रुपए में गिरावट का एक कारण यह भी है कि फॉरेन इन्वैस्टर्स अपने शेयर और बांड्स बेच रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक फॉरेन इन्वैस्टर्स अब तक साढ़े 3 अरब डॉलर मार्कीट से निकाल चुके हैं। आसान शब्दों में कहें तो मार्कीट में जब पैसा कम आए तो रुपया कमजोर हो जाएगा।

Related Story

Trending Topics

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!