बकाया नहीं चुकाने पर टेलीकॉम कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में DoT

Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Feb, 2020 04:08 PM

dot prepares to take stern action against telecom companies for

टेलीकॉम कंपनियों के लिए समायोजित सकल राजस्व (AGR) का मामला गले की फांस बनता जा रहा है। पहले सुप्रीम कोर्ट से फटकार मिलने के बाद अब दूरसंचार विभाग (DoT) कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है। आधिकारिक सूत्रों के हवाले से ये जानकारी सामने आई है।

नई दिल्लीः टेलीकॉम कंपनियों के लिए समायोजित सकल राजस्व (AGR) का मामला गले की फांस बनता जा रहा है। पहले सुप्रीम कोर्ट से फटकार मिलने के बाद अब दूरसंचार विभाग (DoT) कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है। आधिकारिक सूत्रों के हवाले से ये जानकारी सामने आई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद शनिवार को अधिकतर ऑफिस में छुट्टी का दिन था। इसके रविवार अवकाश हो गया। ऐसे में DoT सोमवार शाम तक बकाया जमा करने के लिए इंतजार कर सकता है। अगर किसी ने बकाए जमा करने की जहमत नहीं उठाई तो DoT कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है। टेलीकॉम कंपनियों को नेटिस भेजा जा सकता है।

DoT ने टेलीकॉम कंपनियों को 5 नोटिस भेजे हैं। ये नोटिस 31 अक्टूबर, 13 नवंबर, 2 दिसंबर, 20 जनवरी और 14 फरवरी को भेजे गए हैं। एक अधिकारी के मुताबिक टेलीकॉम कंपनियों को पैसे चुकाना ही होगा और DoT ने उन्हें कभी भी अलग से समय नहीं दिया है। अब टेलीक़ॉम कंपनियों का कहना है कि वो सोमवार तक कुछ रकम चुका देंगी लेकिन तरह की दरी के साथ कड़ी कार्रवाई किए जाने की संभावना है।

इससे पहले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार के बाद DoT ने टेलीकॉम ऑपरेटरों को शुक्रवार आधी रात तक बकाया चुकाने के लिए नोटिस जारी किया था। हालांकि 14 फरवरी तक किसी भी ऑपरेटर ने बकाया नहीं चुकाया है। टेलीकॉम कंपनियों पर लाइसेंस फी के तौर पर 92,642 करोड़ रुपये और स्पेक्ट्रम उपयोग फी के तौर पर 55,054 करोड़ रुपये बकाया है। कुल मिलाकर इन कंपनियों के ऊपर केंद्र सरकार के 1.47 लाख करोड़ रुपये बकाया है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, DoT ने किसी भी टेलीकॉम ऑपरेटर को कोई आदेश नहीं भेजा। कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उस याचिका को स्वीकार करने के बाद मामले को पेमेंट करने की अंतिम तारीख से ठीक पहले लिस्टिंग किया था। लिहाजा विभाग के पास कोई स्पष्टीकरण देने का समय नहीं मिला। ऐसे में कोर्ट की अवमानना से बचने के लिए विभाग ने आंतरिक आदेश जारी कर दिया। 

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