रूला रहा 'व्हाइट गोल्ड', corona virus के चलते औंधे मुंह गिरे रूई के दाम

Edited By vasudha,Updated: 10 Feb, 2020 01:19 PM

due to corona virus the price of cotton fell inverted

भारत में चालू कपास सीजन साल 2019-20 के दौरान कपास की बम्पर पैदावार होने के कयास लगाए जा रहे हैं। एक अक्तूबर से शुरू हुए 31 जनवरी, 2020 तक देश में कपास आमद के विभिन्न आंकड़े आए हैं। कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सी.ए.आई.) के अनुसार 31 जनवरी तक भारत में...

बिजनेस डेस्क: भारत में चालू कपास सीजन साल 2019-20 के दौरान कपास की बम्पर पैदावार होने के कयास लगाए जा रहे हैं। एक अक्तूबर से शुरू हुए 31 जनवरी, 2020 तक देश में कपास आमद के विभिन्न आंकड़े आए हैं। कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सी.ए.आई.) के अनुसार 31 जनवरी तक भारत में 192.89 लाख गांठ व्हाइट गोल्ड की आमद हुई है। एक ग्रुप का मानना है कि आमद 2.05 लाख है जो पिछले साल 1.65 लाख गांठ इस अवधि के दौरान पहुंची थीं। एक अन्य निजी कारोबारी का दावा है कि आमद 210 लाख गांठ व्हाइट गोल्ड की मंडियों में आ चुकी हैं। सी.ए.आई. के अनुसार देश में उपरोक्त तारीख तक उपज की करीब 55 प्रतिशत आमद मंडियों में आ चुकी है। 

 

सी.ए.आई. ने इस चालू सीजन में 354.50 लाख गांठ व्हाइट गोल्ड उपज का अनुमान जताया है, जबकि अधिकतर रूई कारोबारियों का अनुमान है कि भारत में व्हाइट गोल्ड उत्पादन 380 से 390 लाख गांठों के बीच रहेगा। गैर-सरकारी सूत्रों के अनुसार देश में अब तक 215 लाख गांठ व्हाइट गोल्ड घरेलू मंडियों में पहुंच चुका है। इस दौरान एक बड़े रूई कारोबारी ने बताया कि शनिवार तक उत्तरी जोन राज्यों की घरेलू मंडियों में लगभग 51,16,500 गांठों का व्हाइट गोल्ड पहुंच चुका है, जिसमें पंजाब में 700000 गांठ, हरियाणा 19,38000 गांठ, श्री गंगानगर सर्कल 14,01500 गांठ व लोअर राजस्थान भीलवाड़ा क्षेत्र समेत 10,77000 गांठों का व्हाइट गोल्ड शामिल है। देश में आजकल 2.10 लाख गांठों से अधिक रोजाना आमद चल रही है जिसमें पंजाब, हरियाणा व राजस्थान की 20,000 गांठों की आमद भी शामिल है। 

 


बाजार जानकारों के अनुसार चीन में कोरोना वायरस महामारी के जबरदस्त प्रकोप के कारण भारत सहित अंतर्राष्ट्रीय रूई, यार्न व कपास बाजारों पर बुरा असर देखने को मिला है। भारतीय रूई व्यापार जगत जो पिछले कई सालों से धन की बड़ी तंगी से जूझ रहा है अब चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप ने भारतीय रूई बाजार जगत ने अपनी चपेट में ले लिया है, जिससे बाजार में धन की और बड़ी तंगी हो गई है। चीन में कारोबार बंद होने से भारतीय कारोबारियों की बैंकों की एल.सी. रुक गई है जिससे धन की तंगी होना कुदरती बात है। माना जाता है कि चीन दुनिया की प्रमुख आयातक देश है जिस कारण भारत से 40 से 50 प्रतिशत यार्न व कपास चीन को जाती है। चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते निर्यात तो रुक ही गया है। दूसरी तरफ इस समय रूई व यार्न के नए सौदे नहीं हो रहे हैं। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि रूई में गिरावट बन सकती है। सूत्रों के अनुसार पिछले लगभग 10 दिनों में लगभग 70 रुपए मन कीमतें औंधे मुंह गिर चुकी हैं। इस मंदी का मुख्य कारण चीन में कोरोना वायरस से फैली महामारी माना जा रहा है। 

 

बड़े ग्रुपों ने बाजार से मुंह फेरा 
पंजाब स्थित अंतर्राष्ट्रीय बड़े स्पिङ्क्षनग मिल्ज ग्रुपों ने कई दिनों से रूई गांठों  की खरीद से मुंह फेर रखा है। सूत्रों की मानें तो यह बड़े ग्रुप अंतर्राष्ट्रीय बाजार में यार्न की मंदी में बैठे हैं जिस कारण ही ग्रुपों ने अपनी खपत के अनुसार स्टाक करके सरप्लस रूई गांठ लेनी बंद कर दी है। दूसरी तरफ अधिकतर स्पिनिंग मिलें अपनी रोजाना खपत से भी कम रूई गांठ खरीद रही हैं लेकिन इन मिलों के पास लगभग 30 से 45 दिनों का स्टाक हाथ में रखा हुआ है, जबकि बड़े स्पिनिंग ग्रुपों के पास 3-4 महीनों का स्टाक होने की सूचना है।

 

यार्न में 7-8 रुपए किलो आई मंदी
चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते भारतीय यार्न में हाल ही में 7-8 रुपए किलो मंदी आ चुकी है। चीन भारतीय यार्न का मुख्य आयातक है। एक स्पिनिंग मिल्ज मालिक के अनुसार भारत से कुल यार्न निर्यात में से लगभग 50 प्रतिशत यार्न चीन को जाता है। चीन वायरस से यार्न निर्यात पर असर पड़ चुका है जिससे लगता है कि यार्न में और गिरावट आ सकती है। हाजिर रूई के भाव यार्न के साथ सीधे-सीधे जुड़े हुए हैं। 

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