मानसून दौरान सब्जियों में आग, ग्राहकों की जेबों को लग रहा है चूना

Edited By Supreet Kaur,Updated: 12 Jul, 2018 09:44 AM

during the monsoon the vegetables prices rise

एक सप्ताह पहले हुई बारिश के बाद सब्जियों के भावों में तो जैसे उबाल आ गया हो। बारिश से सब्जियों के खराब होने के बाद मंडी में सब्जी नहीं आ रही है। मांग ज्यादा होने और आवक कम होने के कारण सब्जियां महंगी हो गई हैं और दुकानदार मनमर्जी के दाम वसूल रहे हैं।

बिजनेस डेस्कः एक सप्ताह पहले हुई बारिश के बाद सब्जियों के भावों में तो जैसे उबाल आ गया हो। बारिश से सब्जियों के खराब होने के बाद मंडी में सब्जी नहीं आ रही है। मांग ज्यादा होने और आवक कम होने के कारण सब्जियां महंगी हो गई हैं और दुकानदार मनमर्जी के दाम वसूल रहे हैं। सब्जियों के दाम बढ़ने से लोगों की रसोई का बजट बिगड़ा है।

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हालात यह हैं कि लोग मंडी में सब्जी लेने तो जाते हैं लेकिन यह समझ में नहीं आ रहा कि सब्जियां क्या लें और क्या नहीं। आम आदमी की परेशानी यह है कि सब्जियों के दाम भी ज्यादा और सब्जियां ताजी भी नहीं मिल रहीं। मंडी में आने वाले हर व्यक्ति की नजरें ताजी सब्जियां तलाश रही हैं। इस समय महंगाई की सबसे बड़ी वजह बारिश को माना जा रहा है जबकि इसकी बड़ी वजह कालाबाजारी और दुकानदारों के मनमर्जी से रेट वसूलना तथा मंडी बोर्ड की वैबसाइट पर रेटों के बारे में जानकारी न होना है।

जालंधर में यह रहे थोक व रिटेल सब्जियों के भाव

सब्जी  थोक रिटेल
टमाटर 12-13 20-40
 
आलू 09-14 20-25
प्याज 16-20 20-25
लौकी 12-15 60-70
घीया 10-15 60-80
खीरा 20-25 35-40
भिंडी 20-25 40-50
बैंगन  20-25 25-30
गोभी 20-40 30-55
अरबी 20-25 25-30
बंदगोभी 05-10 10-15


सितम्बर में पहले सप्ताह के बाद ही सस्ती होंगी सब्जियां 
दुकानदार भगत ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्र में लगातार लैंड स्लाइड व बारिश के कारण रास्ते बंद हैं। ऐसे में सब्जियों की आवक प्रभावित हो रही है। बारिश थमने के साथ ही सब्जियां एक बार फिर सस्ती हो जाएंगी। वहीं सितम्बर के पहले हफ्ते के बाद सब्जियां सस्ती होने की उम्मीद है। यहां लोकल सब्जियों में अभी पौध लगाई जा रही है जबकि सर्दियों में लगाई गई सब्जियां बारिश के साथ ही खत्म हो चुकी हैं। ऐसे में महंगाई बढ़ी है।

भंडारण नहीं होने से 12,000 क्विंटल सब्जियां सड़ीं
सीकर में भंडारण की व्यवस्था नहीं होने से गत माह 12,000 क्विंटल सब्जियां सड़ गईं। अगर भंडारण व्यवस्था होती तो सीकर शहर को 40 दिन तक आसानी से सस्ती सब्जी मिल जाती। उचित भंडारण के अभाव में सब्जियां नष्ट होते ही महज 10 दिन में ही सब्जियों के थोक एवं खुदरा भाव 5 से 7 गुणा तक बढ़ गए। मई में थोक में 10 रुपए किलो मिलने वाली सब्जी अब 70 रुपए में मिल रही है।

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कैमीकल भी बन रहे मुख्य कारण
सब्जियों और फलों को जल्दी पकाने के चक्कर में दुकानदार फलों और सब्जियों पर कैमीकल का प्रयोग कर रहे हैं जिस कारण कैमीकल युक्त फल और सब्जियां जल्दी खराब हो जाते हैं। यह फल और सब्जियां जहां लोगों की जेबों को काट रही हैं वहीं उनके स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ कर रही हैं। गत दिवस होशियारपुर मंडी अफसर तेजेंद्र सिंह द्वारा गढ़शंकर व माहिलपुर की सब्जी मंडियों में चैकिंग दौरान आम के के्रट में से चाइनीज कैल्शियम कार्बाइड की पुड़िया प्राप्त हुई जिस दौरान मौके पर ही उन्होंने 180 किलो आम व 2 क्विंटल के लगभग गोभी व पत्ता गोभी नष्ट करवाई गई तथा कम्पनी को जुर्माना भी किया गया। 

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