Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Aug, 2018 07:17 PM
देश में तेजी से आगे बढ़ रहे ई-कॉमर्स उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उदार और लचीले नियमों की जरूरत है। यह उद्योग अभी नया नया है इसमें स्टार्टअप कंपनियों को अलग-अलग वोटिंग
हैदराबादः देश में तेजी से आगे बढ़ रहे ई-कॉमर्स उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उदार और लचीले नियमों की जरूरत है। यह उद्योग अभी नया नया है इसमें स्टार्टअप कंपनियों को अलग-अलग वोटिंग अधिकार के साथ शेयर जारी करने की अनुमति देने का प्रस्ताव इस क्षेत्र में विदेशी पूंजी प्रवाह को प्रभावित करेगा। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के दिग्गज वी बालाकृष्णन ने यह बात कही।
इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी बालाकृष्णन ने कहा कि स्पष्ट तौर पर ई-कॉमर्स नीति के मसौदे का उद्देश्य भारतीय ई-कॉमर्स कंपनियों को बढ़ावा देना और ऑनलाइन तथा ऑफलाइन कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा के लिए बराबरी के अवसर पैदा करने का है। उन्होंने कहा, 'ई-कॉमर्स बाजार को देश में अभी भी ज्यादा तवज्जो नहीं दी जा रही है। ई-कॉमर्स उद्योग से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए एकल नियामक की जरूरत है। ई-कॉमर्स उद्योग पर जरूरत से ज्यादा नियमन उद्योग की शरूआती वृद्धि को प्रभावित करेगा। मुझे लगता है कि आईटी उद्योग इसका बेहतरीन उदाहरण है, जहां कम सरकारी नियमन के कारण जबरदस्त वृद्धि हासिल की गई।'
उन्होंने कहा कि कोई भी सरकारी नीति उपभोक्ता के हितों को ध्यान में रखकर लाई जानी चाहिए। उनका मानना है कि ई-वाणिज्य कंपनियों में बारीकी के साथ जो रियायतों की पेशकश की जा रही है वह वांछनीय नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सामान की थोक खरीदारी का निषेध करने और प्रत्यक्ष अथवा समूह कंपनियों के जरिये मूल्यों को प्रभावित करने पर प्रतिबंध से उपभोक्ताओं का लाभ नहीं होगा।
बालाकृष्णन ने कहा, ‘‘आज उपभोक्ता ई-कामर्स मार्किटप्लेस का इस्तेमाल सुविधा और मूल्य दोनों वजह से कर रहे हैं। इसके साथ ही ज्यादातर आफलाइन स्टोरों के अपने आनलाइन चैनल भी हैं। अभी भी 95 प्रतिशत खुदरा बिक्री आफलाइन के जरिए हो रही है इसलिए इस तरह के प्रतिबंध लगाना उपभोक्ताओं के हित में नहीं होगा।’’ मसौदा नीति में स्टॉर्टअप कंपनियों को अलग-अलग मतदान अधिकार के साथ शेयर जारी करने की अनुमति के प्रस्ताव पर बालाकृष्णन ने कहा कि वह आमतौर पर उद्यमियों की रक्षा के लिए किया गया है। इस समय इस क्षेत्र में घरेलू निवेश ज्यादा नहीं आ रहा है और यह उद्योग में विदेशी पूंजी के प्रवाह को प्रभावित करेगा।