ई ग्रामीण बैंकों का होगा विलय, IPO लाने की तैयारी में सरकार

Edited By Supreet Kaur,Updated: 29 Jul, 2019 10:18 AM

e rural banks will merge government in preparation for ipo

बैंकिंग सैक्टर में मजबूती लाने के लिए अब सरकार ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आर.आर.बी.) के विलय की योजना बनाई है। सूत्रों के अनुसार, इस साल सरकार कई आर.आर.बी. का विलय कर सकती है। इस विलय के बाद सरकार 3 से 4 आर.आर.बी. को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध...

नई दिल्लीः बैंकिंग सैक्टर में मजबूती लाने के लिए अब सरकार ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आर.आर.बी.) के विलय की योजना बनाई है। सूत्रों के अनुसार, इस साल सरकार कई आर.आर.बी. का विलय कर सकती है। इस विलय के बाद सरकार 3 से 4 आर.आर.बी. को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कराने की तैयारी में है। इसके लिए आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आई.पी.ओ.) लाया जाएगा।

50 फीसदी हिस्सेदारी केंद्र सरकार की
फिलहाल आर.आर.बी. में केंद्र की 50 प्रतिशत, प्रायोजक बैंक की 35 प्रतिशत और राज्य सरकारों की 15 प्रतिशत हिस्सेदारी है। संशोधित कानून के तहत हिस्सेदारी बिक्री के बावजूद केंद्र और प्रायोजक बैंक की कुल हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे नहीं आ सकती। बजट 2019-20 में आर.आर.बी. के पुनपूंजीकरण के लिए 235 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

राज्य सरकारों से मिली मंजूरी
सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि बैंकों के एकीकरण की प्रक्रिया जारी है और आर.आर.बी. की संख्या को 45 से घटाकर 38 पर लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी कुछ और एकीकरण हो सकते हैं क्योंकि राज्य सरकारों की ओर इसके लिए मंजूरी मिल गई है। सूत्रों ने कहा कि राज्य के भीतर ही उनके एकीकरण से आर.आर.बी. का ऊपरी खर्च कम होगा, प्रौद्योगिकी का महत्तम इस्तेमाल हो सकेगा, पूंजी आधार पर उनके परिचालन क्षेत्र का विस्तार होगा और उनकी पहुंच बढ़ेगी। इन बैंकों की स्थापना आर.आर.बी. कानून, 1976 के तहत छोटे किसानों, कृषि श्रमिकों और ग्रामीण क्षेत्रों के कारीगरों को ऋण और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए की गई थी। इस कानून में 2015 में संशोधन किया गया जिसके बाद इन बैंकों को केंद्र, राज्य और प्रायोजक के अलावा अन्य स्रोतों से भी पूंजी जुटाने की मंजूरी मिल गई।

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