Edited By Supreet Kaur,Updated: 09 Jun, 2018 09:19 AM
सरकार और निर्यातक अभी भी वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) के तहत भुगतान न किए गए रिफंड पर तर्क कर रहे हैं, ऐसे में बहुप्रतीक्षित ई-वॉलेट व्यवस्था भी शुरू नहीं हो सकी है। कारोबारियों का मानना है कि ई-वॉलेट व्यवस्था से नकदी के संकट से निपटने में मदद...
नई दिल्लीः सरकार और निर्यातक अभी भी वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) के तहत भुगतान न किए गए रिफंड पर तर्क कर रहे हैं, ऐसे में बहुप्रतीक्षित ई-वॉलेट व्यवस्था भी शुरू नहीं हो सकी है। कारोबारियों का मानना है कि ई-वॉलेट व्यवस्था से नकदी के संकट से निपटने में मदद मिलेगी जो जी.एस.टी. लागू किए जाने के बाद से ही चल रहा है। इसी क्रम में पिछले साल 6 अक्तूबर को जी.एस.टी. परिषद की बैठक में इसे स्वीकार करने का फैसला किया गया, जिसके लिए 1 अप्रैल की तिथि निर्धारित की गई। बहरहाल इसे लागू करने की अंतिम तिथि बीत चुकी है तथा सरकार ने इसे और 6 महीने का विस्तार दिया है।
सूत्रों ने कहा कि 2 महीने से ज्यादा समय तक वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधिकारियों की बैठक के बाद पता चला कि प्रगति बहुत सुस्त है। वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि अक्तूबर में संभावित गिरावट से पहले अभी भी हमारे पास पर्याप्त समय है। ऑनलाइन लेन-देन प्लेटफॉर्म के एक काम करने योग्य मॉडल का गठन किया जाना अभी बाकी है जिसका परीक्षण होगा और उम्मीद है कि इसमें कुछ वक्त लगेगा।
प्रभु ने ई-वॉलेट के विचार का किया समर्थन
ऑनलाइन ऑप्रेशन के मामले में प्रक्रिया संबंधी खामियां अभी भी बनी हुई हैं। सूत्रों का कहना है कि वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने ई-वॉलेट के विचार का समर्थन किया है और निर्यातकों के लिए रिफंड व्यवस्था तत्काल करने के लिए वित्त मंत्रालय को अपने पक्ष में करने की कवायद की है लेकिन पिछले मार्च में प्रभु ने संकेत दिए थे कि यह प्रस्ताव नॉर्थ ब्लॉक में अटका हुआ है। राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि अभी भी हम खासकर डिजीटल सिक्योरिटी के संदर्भ में प्रमुख पहलुओं का आकलन कर रहे हैं।