Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Mar, 2019 03:46 PM
डिजिटल क्रांति और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लगातार हो रहे बदलाव के कारण वर्ष 2020 तक देश में ई-कचरा का उत्पादन बढ़कर 52 लाख टन तक हो सकता है। वर्ष 2016 में देश का कुल ई-कचरा 20 लाख टन था।
नई दिल्लीः डिजिटल क्रांति और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लगातार हो रहे बदलाव के कारण वर्ष 2020 तक देश में ई-कचरा का उत्पादन बढ़कर 52 लाख टन तक हो सकता है। वर्ष 2016 में देश का कुल ई-कचरा 20 लाख टन था।
उद्योग संगठन एसोचैम और ईवाई के संयुक्त अध्ययन के मुताबिक, सामाजिक और आर्थिक विकास, डिजिटल बदलाव, तेजी से उन्नत होती प्रौद्योगिकी और विकासित देशों द्वारा विकासशील देशों तथा अविकसित देशों में इलेक्ट्रिकल तथा इलेक्ट्रॉनिक कचरा डाले जाने के कारण देश में ई-कचरा बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। सबसे अधिक ई-कचरा उत्पादित करने वाले दुनिया के पांच देशों में भारत भी शामिल है। अन्य चार देश चीन, अमेरिका, जापान और जर्मनी हैं। देश में सबसे अधिक ई-कचरा महाराष्ट्र में उत्पादित होता है।
देश में उत्पादित कुल ई-कचरा में महाराष्ट्र का योगदान 19.8 प्रतिशत है लेकिन यह हर साल मात्र 47,810 टन ई-कचरे की रिसाइकलिंग करता है। तमिलनाडु का योगदान 13 प्रतिशत है और यह 53,427 टन की रिसाइकलिंग करता है। इसके अलावा कुल ई-कचरे में उत्तर प्रदेश का योगदान 10.1 प्रतिशत का है और यह करीब 86,130 टन कचरे की रिसाइकलिंग करता है। पश्चिम बंगाल का योगदान 9.8 प्रतिशत, दिल्ली का 9.5 प्रतिशत, कर्नाटक का 8.9 प्रतिशत, गुजरात का 8.8 प्रतिशत तथा मध्य प्रदेश का 7.6 प्रतिशत है।