आज से लागू होगी ई-वे बिल व्यवस्था, 50 हजार से अधिक के सामान के लिए अनिवार्य ई-वे बिल

Edited By Pardeep,Updated: 01 Apr, 2018 04:25 AM

e way billing will be implemented from today

इलैक्ट्रॉनिक-वे (ई-वे) बिल व्यवस्था के हकीकत बनने में कम से कम एक पखवाड़ा और लग सकता है। हालांकि यह व्यवस्था 31 मार्च की मध्य रात्रि से ही प्रभावी हो जाएगी। ई-वे बिल 50,000 रुपए से अधिक रकम की वस्तु पर अंतर्राज्यीय आवाजाही पर लगता है। विशेषज्ञों का...

नई दिल्ली: इलैक्ट्रॉनिक-वे (ई-वे) बिल व्यवस्था के हकीकत बनने में कम से कम एक पखवाड़ा और लग सकता है। हालांकि यह व्यवस्था 31 मार्च की मध्य रात्रि से ही प्रभावी हो जाएगी। ई-वे बिल 50,000 रुपए से अधिक रकम की वस्तु पर अंतर्राज्यीय आवाजाही पर लगता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अप्रैल में अधिक संख्या में ई-वे बिल बनने की उम्मीद नहीं है क्योंकि कारोबारी इस नई व्यवस्था की जद में तत्काल नहीं आना चाहते हैं और कर बचाने के लिए जमकर माल का जखीरा जुटा रहे हैं। 

उद्योग जगत के विशेषज्ञों के अनुसार लगभग पिछले 2 महीनों के दौरान ट्रकों से सामान्य से ज्यादा ढुलाई हो रही है। इसकी वजह यह है कि कई कारोबारी माल का अधिक से अधिक भंडार जमा करने में जुटे हैं। वैसे पहली बार ई-वे बिल व्यवस्था के प्रभाव में आने के उपरांत पोर्टल के धराशायी होने के बाद सरकार ने कुछ सबक जरूर लिए हैं और वह इस बार पूरी तरह मुस्तैद है। हालांकि इसके बाद भी कर्नाटक में इसकी व्यवस्था की शुरूआत पर संशय बना हुआ है। इस नई प्रणाली के बारे में लोगों को बताने के लिए पिछले कई सप्ताह से सरकार जागरूकता अभियान चला रही है। फरवरी में शुरूआत के दिन ही ई-वे बिल पोर्टल चरमरा गया था और तब तक 4,80,000 बिल बन पाए थे। अधिकारियों ने कहा कि अब पोर्टल की क्षमता आंकने के लिए कई परीक्षण हो चुके हैं।

राजस्व वसूली लक्ष्य पाने में मिलेगी मदद: विशेषज्ञ
उद्योग जगत के विशेषज्ञों का मानना है कि माल परिवहन के लिए ई-वे बिल व्यवस्था लागू होने से राजस्व वसूली लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी लेकिन व्यवस्था के पूरी तरह से लागू होने तक सरकार को छोटे उद्योगों और व्यापारियों को सहारा देना जरूरी है।

शुरूआत में 10-15 प्रतिशत तक बढ़ सकती है राजस्व वसूली
पी.एच.डी. वाणिज्य एवं उद्योग मंडल की अप्रत्यक्ष कर समिति के अध्यक्ष बिमल जैन ने कहा,‘‘ई-वे बिल व्यवस्था के अमल में आने से सरकार को राजस्व वसूली लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।’’ उन्होंने कहा कि ई-वे बिल व्यवस्था लागू होने के बाद शुरूआत में ही राजस्व वसूली 10-15 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। 

फरवरी में जी.एस.टी. संग्रह 85,174 करोड़ रुपए रहा
उल्लेखनीय है कि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद जी.एस.टी. राजस्व संग्रह उस गति से नहीं बढ़ पा रहा है जितना बढऩा चाहिए था। फरवरी में जी.एस.टी. संग्रह 85,174 करोड़ रुपए रहा है जो कि जनवरी, 2018 की प्राप्ति 86,318 करोड़ रुपए से कम रहा। देश में जुलाई, 2017 में जी.एस.टी. व्यवस्था लागू होने पर पहले महीने में जी.एस.टी. प्राप्ति 93,590 करोड़ रुपए रही। सितम्बर में यह सबसे ज्यादा 95,132 करोड़ रुपए रही और उसके बाद इसमें गिरावट आ गई।

असंगठित क्षेत्र को सहारा देने की आवश्यकता
बिमल जैन ने कहा कि सरकार को ई-वे बिल की सफलता के लिए छोटे और असंगठित क्षेत्र को सहारा देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जब भी कोई नई व्यवस्था अमल में आती है तो उसके लिए चीजों को समझना और प्रशिक्षण देना जरूरी होता है। शुरूआती दौर में यदि किसी से कोई गलती होती है तो कम से कम 6 माह तक जुर्माने और दंडात्मक कार्रवाई से बचा जाना चाहिए तथा गलती को सुधारने पर जोर दिया जाना चाहिए।

अखिल भारतीय मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष एस.के. मित्तल ने ई-वे बिल की तैयारियों के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘हम इस व्यवस्था को लेकर सरकार के साथ हैं। देश में छोटे-बड़े 3 लाख से ज्यादा ट्रांसपोर्टर हैं। ई-वे बिल जैनरेट करने का काम मुख्यत: माल भेजने वाले अथवा प्राप्त करने वाले कारोबारियों का होगा। एक राज्य से दूसरे राज्य में माल भेजने का काम ज्यादातर बड़े व्यापारी ही करते हैं। सप्लायर ई-वे बिल जैनरेट करेगा और उसके बाद इसमें गाड़ी नंबर डाला जाएगा। ट्रांसपोर्टर का काम माल को गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाना है।’’ बिमल जैन से जब यह पूछा गया कि ई-वे बिल से कर चोरी कैसे रुकेगी तो जवाब में उन्होंने कहा कि ई-वे के लिए पंजीकरण करवाने से यह रिकार्ड में आ जाएगा और कारोबार के बारे में जानकारी मिलेगी। 

हालांकि यदि कोई माल जॉब वर्क के संबंध में भेजा जा रहा है तो आपूर्तिकत्र्ता अथवा पंजीकृत जॉब वर्कर को ई-वे बिल लेना होगा। जैन ने कहा कि आने वाले दिनों में ई-वे बिल व्यवस्था स्थापित हो जाने के बाद इसे ‘रेडियो फ्रीक्वैंसी आइडैंटिफिकेशन डिवाइस’ के साथ जोडऩे से यह व्यवस्था और पुख्ता हो जाएगी।

मोटर ट्रांसपोर्ट के महासचिव नवीन कुमार गुप्ता ने कहा कि ट्रांसपोर्टरों को भ्रष्टाचार से मुक्ति मिलनी चाहिए। माल की पूरी जिम्मेदारी सप्लायर यानी आपूर्तिकत्र्ता की होनी चाहिए। कोई भी गड़बड़ी होने पर ट्रांसपोर्टर को परेशान नहीं किया जाना चाहिए बल्कि आपूर्तिकत्र्ता को पकड़ा जाना चाहिए। मित्तल ने कहा कि परचून का काम करने वाले छोटे व्यापारियों के मामले में ई-वे बिल की वैधता को शुरू में 2 दिन के लिए किया जाना चाहिए क्योंकि कई बड़े शहरों में ट्रकों के प्रवेश पर कई-कई घंटे की रोक होती है। केवल रात में ही वे माल पहुंचा सकते हैं, इस लिहाज से ई-वे बिल की 100 किलोमीटर दूरी के लिए वैधता एक दिन की बजाय 2 दिन की जानी चाहिए। 
  

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