Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 Jul, 2018 11:07 AM
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एम एम कुमार ने कहा कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में संशोधन के बाद घर खरीदारों के
नई दिल्लीः राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एम एम कुमार ने कहा कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में संशोधन के बाद घर खरीदारों के लिए चूक करने वाली रियल एस्टेट कंपनी से अपना पैसा निकालना आसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि आईबीसी के तहत वित्तीय ऋणदाता बनने के बावजूद फ्लैट खरीदारों के लिए चूक करने वाले बिल्डर से धन की वसूली आसान नहीं होगी।
न्यायमूर्ति कुमार ने उद्योग मंडल पीएचडीसीसीआई द्वरा आयोजित संगोष्ठी ‘दबाव वाली परिसंत्तियों का पुनर्गठन- मौजूदा परिदृश्य’ में कहा कि जब तक घर खरीदारों की मदद के लिए उच्चतम न्यायालय आगे नहीं आता तब तक आईबीसी के तहत धन वापस लेने में उनके लिए काफी जोखिम हैं। उन्होंने कहा कि आईबीसी (संशोधन के बाद) के तहत फ्लैट खरीदार वित्तीय ऋणदाता बन गए हैं लेकिन वे इससे खुश नहीं हैं।
न्यायमूर्ति कुमार ने कहा कि यदि उच्चतम न्यायालय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करता है तो इससे फ्लैट खरीदारों को मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होने पर कानूनी तौर पर कहा जाए तो काफी जोखिम हैं।