Edited By jyoti choudhary,Updated: 14 Dec, 2019 01:42 PM
पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन का कहना है कि देश की मौजूदा आर्थिक सुस्ती बहुत बड़ी (ग्रेट स्लोडाउन) है। ऐसा लग रहा है कि अर्थव्यवस्था आईसीयू की तरफ बढ़ रही है। ट्विन बैलेंस शीट (टीबीएस) संकट की दूसरी लहर इकोनॉमी को प्रभावित कर रही है।
कैम्ब्रिजः पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन का कहना है कि देश की मौजूदा आर्थिक सुस्ती बहुत बड़ी (ग्रेट स्लोडाउन) है। ऐसा लग रहा है कि अर्थव्यवस्था आईसीयू की तरफ बढ़ रही है। ट्विन बैलेंस शीट (टीबीएस) संकट की दूसरी लहर इकोनॉमी को प्रभावित कर रही है। सुब्रमण्यन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पेपर प्रजेंटेशन के दौरान ऐसा कहा।
सुब्रमण्यन ने दिसंबर 2014 में भी टीबीएस की समस्या को लेकर चेतावनी दी थी, उस वक्त वे मुख्य आर्थिक सलाहकार थे। टीबीएस का मतलब कॉर्पोरेट के कर्ज नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) होने से है, इससे बैंकों की मुश्किलें बढ़ती हैं यानी एक तरफ उद्योगपति परेशानी में हैं, इसलिए वे नया निवेश नहीं कर पाएंगे। दूसरी ओर बैंकों का एनपीए बढ़ेगा तो वे ज्यादा कर्ज नहीं दे पाएंगे। इससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होगी।
पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने नए रिसर्च पेपर में 2004 से 2011 तक स्टील, पावर और इन्फ्रा सेक्टर के कर्ज जो कि एनपीए में बदल गए उन्हें टीबीएस-1 कहा। टीबीएस-2 से उनका आशय प्रमुख रूप से नोटबंदी के बाद नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों और रिएल एस्टेट फर्मों के नकदी संकट से है।
सुब्रमण्यन के मुताबिक पिछले साल सितंबर में सामने आया आईएलएंडएफएस का संकट भूकंप जैसी घटना थी। सिर्फ इसलिए नहीं कि आईएलएंडएफएस पर 90,000 करोड़ रुपए के कर्ज का खुलासा हुआ, बल्कि इसलिए भी क्योंकि इससे बाजार प्रभावित हुआ और पूरे एनबीएफसी सेक्टर को लेकर सवाल खड़े हो गए।
जीडीपी ग्रोथ सितंबर तिमाही में 4.5% रह गई। यह 6 साल में सबसे कम है। सुब्रमण्यन का कहना है कि एक्सपोर्ट, इंपोर्ट और सरकार के राजस्व के आंकड़े भी बताते हैं कि अर्थव्यवस्था की स्थिति गंभीर है।