Edited By ,Updated: 14 Nov, 2016 02:59 PM
500 और एक हजार रुपए के नोटों पर प्रतिबंध के बाद अर्थव्यवस्था में अचानक नकदी की कमी पैदा हो जाने के कारण राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदारों की संख्या घटकर एक चौथाई से भी कम रह गई है।
नई दिल्लीः 500 और एक हजार रुपए के नोटों पर प्रतिबंध के बाद अर्थव्यवस्था में अचानक नकदी की कमी पैदा हो जाने के कारण राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदारों की संख्या घटकर एक चौथाई से भी कम रह गई है। साथ ही बाजारों में भीड़ भी काफी कम हो गई है। दिल्ली के हर बड़े बाजार में शनिवार और रविवार को आम तौर पर चलने की भी जगह नहीं होती है। चलने के लिए बने रास्तों तथा फुटपाथों पर बड़ी संख्या में रेहड़ी-पटरी वाले या घूम-घूमकर सामान बेचने वाले होते हैं और उससे भी कहीं ज्यादा संख्या में उनसे सामान खरीदते तथा मोलभाव करते लोग। साथ ही बाजार में आने वालों का ताँता भी लगा रहता है लेकिन गत मंगलवार से पुराने नोटों पर प्रतिबंध की सरकार की घोषणा के बाद पहले सप्ताहांत पर नजारा कुछ और ही था।
दिल्ली का दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस में रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदारों की संख्या रविवार को बेहद कम रही। हां, इनर तथा आऊटर सर्किल में मौजूद हर बैंक के बाहर हाथों में अपने पहचान पत्र की प्रति लिए लोगों की लंबी-लंबी कतारें जरूर लगी थीं। यह पूछे जाने पर कि क्या यह नोटों पर प्रतिबंध का असर है, एक दुकानदार ने खीझते हुए कहा, "तो आपको और क्या लगता है?"
जनपथ लेन भी सूनसान पड़ा था। जहां आम तौर पर 200 मीटर की दूरी तय करने में दस मिनट का समय लग जाता है वहां आज रास्ते की असल चौड़ाई दिख रही थी। टॉप की अस्थायी दुकान लगाने वाले रिंकू ने कहा, ''सुबह से 2 पीस ही बिके हैं।'' लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे सरकार के इस फैसले से खफा हैं।
सरोजनी नगर बाजार में भी सप्ताहांत पर फुटपाथ या रास्तों पर सामान बेचने वाले बहुत नजर आए। हालांकि, देश की राजधानी में क्रेडिट/डेबिट कार्ड तथा एप्प आधारित मोबाइल वॉलेटों से भुगतान करने वालों की बड़ी संख्या के कारण मॉलों तथा शोरूमों पर कोई खास असर नहीं पड़ा। अधिकांश शोरूम तथा मॉलों प्रबंधकों का कहना था कि बिक्री में बिल्कुल कमी नहीं आई है।