मनी लॉन्ड्रिंग कानून का असर, गोल्ड ज्वैलरी की बिक्री हुई आधी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Sep, 2017 09:09 AM

effect of money laundering law  sale of gold jewelery halves

केंद्र सरकार ने जब से जैम एंड ज्वैलरी सैक्टर को प्रिवैंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत डाला है...

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने जब से जैम एंड ज्वैलरी सैक्टर को प्रिवैंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत डाला है, तब से गोल्ड ज्वैलरी की बिक्री में 30 से 50 पर्सैंट गिरावट आई है। इस सैक्टर को 23 अगस्त को पी.एम.एल.ए. में डाला गया था, जिससे 50,000 रुपए और ज्यादा के हर ट्रांजैक्शन रिसीट का के.वाई.सी. कंप्लायंट होना जरूरी हो गया है। इससे गोल्ड कारोबारियों और खरीदारों में एक तरह का डर समा गया, जिसके चलते बिक्री में तेज गिरावट आई।

त्यौहारी सीजन में हो सकता है कारोबारियों को नुक्सान
इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अगर के.वाई.सी. लिमिट बढ़ाकर 2 लाख रुपए नहीं की जाती है तो त्यौहारी सीजन में भी बिक्री सुस्त रहेगी। इससे खासतौर पर ऑर्गेनाइज्ड सैक्टर के उन ज्वैलर्स की बिक्री खासी प्रभावित होगी जो आमतौर पर कारोबार में पारदर्शिता बनाए रखते हैं। इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के नैशनल सैक्रेटरी सुरेंद्र मेहता बताते हैं कि बहुत से ज्वैलर्स ने इस डर से अनजाने और नए कस्टमर्स को गहने बेचना बंद कर दिया है कि कहीं वे खरीदारी बेनामी पैसों से तो नहीं कर रहे। और तो और के.वाई.सी. लेना ही पर्याप्त नहीं है।

7 सितंबर को GJF अधिकारियों से करेगा मुलाकात 
ट्रेडर्स का कहना है कि 50,000 रुपए और उससे ज्यादा मूल्य के सोने के गहनों की खरीद के लिए के.वाई.सी. जरूरी करने से नियमों का उल्लंघन होने का खतरा पैदा होगा। कोई ज्वैलर नहीं चाहेगा कि उसके कस्टमर्स छूटें इसलिए वह नियमों की अनदेखी शुरू कर देगा। ऑल इंडिया जैम एंड ज्वैलरी ट्रेड फैडरेशन (जी.जे.एफ.) के चेयरमैन नितिन खंडेलवाल कहते हैं कि सरकार के कदम से अनऑर्गेनाइज्ड सैक्टर को बढ़ावा मिलेगा जबकि ऑर्गेनाइज्ड सैक्टर को नुक्सान होगा। जी.जे.एफ. इस मुद्दे पर चर्चा के लिए 7 सितंबर को सरकारी अधिकारियों से मुलाकात करेगा। जी.जे.एफ. के चेयरमैन ने यह भी कहा है कि 50,000 रुपए से ज्यादा के कैश ट्रांजैक्शन के लिए के.वाई.सी. जरूरी किए जाने से फैस्टिव सीजन की सेल पर दबाव बनेगा। उन्होंने कहा कि इस वक्त तो लोग जमकर खरीदारी करते हैं। अगर कोई उपभोक्ता आधार या दूसरे डॉक्यूमैंट्स के जरिए सरकार को कुछ नहीं बताना चाहे तो उससे भय का माहौल बनेगा और उससे त्यौहारी सीजन में सेल पर नैगेटिव असर होगा।

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