Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Feb, 2018 05:05 PM
वित्त मंत्री अरुण जेतली द्वारा वीरवार को पेश किए आम बजट के दौरान साधारण करदाता के हाथ खाली ही रहे। व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा में कोई वृद्धि नहीं की गई, हालांकि माना जा रहा था कि वित्त मंत्री कर छूट की सीमा को अढ़ाई लाख से बढ़ा कर 3 लाख रुपए कर सकते...
जालन्धर (नरेश): वित्त मंत्री अरुण जेतली द्वारा वीरवार को पेश किए आम बजट के दौरान साधारण करदाता के हाथ खाली ही रहे। व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा में कोई वृद्धि नहीं की गई, हालांकि माना जा रहा था कि वित्त मंत्री कर छूट की सीमा को अढ़ाई लाख से बढ़ा कर 3 लाख रुपए कर सकते हैं लेकिन अरुण जेतली ने अगले साल होने वाले आम चुनाव को नजरअंदाज कर दिया।
आयकरदाता के लिए कांग्रेस -भाजपा एक जैसे
यदि हम यू.पी.ए. के पिछले 2 कार्यकाल की तुलना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस कार्यकाल के बजट के साथ करें तो तीनों ही सरकारों ने अपने 5 साल के कार्यकाल में आयकर छूट की सीमा 50 हजार रुपए ही बढ़ाई है। हालांकि तीनों सरकारों का छूट की सीमा को बढ़ाने का तरीका अलग-अलग रहा है। 2004 से लेकर 2009 तक की यू.पी.ए. की पहली सरकार में पहले 3 बजट के दौरान आयकर छूट की यह सीमा नहीं बढ़ाई गई थी और इसे 2006-07 के बजट तक एक लाख रुपए ही रखा गया। इसके बाद 2007-08 के बजट के दौरान छूट की यह सीमा बढ़ा कर 1 लाख 10 हजार रुपए कर दी गई लेकिन 2009 में होने वाले चुनाव से पहले आयकर छूट की यह सीमा 40 हजार रुपए बढ़ाकर 1 लाख 50 हजार रुपए कर दी गई।
इसके बाद यू.पी.ए.-2 की सरकार के दौरान भी 50 हजार रुपए छूट की यह सीमा 5 साल में बढ़ाई गई। 2009-10 के बजट के दौरान 10 हजार, 2011-12 के बजट के दौरान 20 हजार और 2012-13 के बजट में 20 हजार आयकर छूट की राहत दी गई। मौजूदा सरकार में पहले बजट के दौरान ही वित्त मंत्री अरुण जेतली ने 2014-15 के बजट के दौरान आयकर छूट की सीमा 2 लाख से बढ़ाकर अढ़ाई लाख रुपए कर दी लेकिन इसके बाद सरकार ने आयकर की छूट की सीमा में कोई वृद्धि नहीं की है। पिछले 3 साल से नौकरीपेशा और आयकर व्यापार इस बात की उम्मीद में थे कि सरकार 5 लाख रुपए तक की आय को कर मुक्त बनाएगी लेकिन सत्ता से बाहर रहते भाजपा नेताओं द्वारा की जाने वाली इस मांग को सत्ता में रहकर पूरा नहीं किया गया है।
साल |
आयकर छूट |
2004-05 |
1 लाख |
2005-06 |
1 लाख |
2006-07 |
1 लाख |
2007-08 |
1.10 लाख |
2008-09 |
1.50 लाख |
2010-11 |
1.60 लाख |
2011-12 |
1.80 लाख |
2012-13 |
2 लाख |
2013-14 |
2 लाख |
2014-15 |
2.50 लाख |
2015-16 |
2.50 लाख |
2016-17 |
2.50 लाख |
2017-18 |
2.50 लाख |
2018-19 |
2.50 लाख |