चिप्स, बिस्कुट की पैकिंग में इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक से बनेगी बिजली

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Dec, 2017 02:52 PM

electricity made of plastic used in the packing of chips  biscuits

चिप्स, बिस्कुट, केक और चाकलेट जैसे खाद्य पदार्थों की पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले चमकीले प्लास्टिक का इस्तेमाल अब बिजली घर में ईंधन के तौर पर किया जाएगा। देश में अपनी तरह का ऐसा पहला प्रयोग यहां गाजीपुर स्थित कूड़े से बिजली बनाने वाले संयंत्र में...

नई दिल्लीः चिप्स, बिस्कुट, केक और चाकलेट जैसे खाद्य पदार्थों की पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले चमकीले प्लास्टिक का इस्तेमाल अब बिजली घर में ईंधन के तौर पर किया जाएगा। देश में अपनी तरह का ऐसा पहला प्रयोग यहां गाजीपुर स्थित कूड़े से बिजली बनाने वाले संयंत्र में शुरू हो गया है जबकि चंडीगढ़, मुंबई व देहरादून सहित आठ और शहरों में भी यह काम जल्द शुरू होने की उम्मीद है। गैर- सरकारी संगठन भारतीय प्रदूषण नियंत्रण संस्थान (आई.पी.सी.ए.) के निदेशक आशीष जैन ने बताया कि इस तरह के प्लास्टिक का इस्तेमाल यहां गाजीपुर स्थित बिजलीघर में किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत में दुनिया में सबसे अधिक प्लास्टिक के सामान का इस्तेमाल होता है, इस लिहाज से इस तरह के प्लास्टिक के निस्तारण की शुरुआत महत्वपूर्ण है। उल्लेखनीय है कि बिस्कुट, नमकीन, केक, चिप्स सहित कई अन्य खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग के लिए एक विशेष चमकीले प्लास्टिक मल्टी लेयर्ड प्लास्टिक (एम.एल.पी.) का इस्तेमाल होता है। इस प्लास्टिक में खाद्य पदार्थ तो सुरक्षित रहते हैं लेकिन इसका निपटान टेढ़ी खीर है। यह न तो गलता है और न ही नष्ट होता है। इसलिए ऐसा एम.एल.पी. कचरा दिन ब दिन बड़ी समस्या बनता जा रहा है। कूड़ा बीनने वाले भी इसे नहीं उठाते क्योंकि इसका आगे इस्तेमाल नहीं होता है। आई.पी.सी.ए. ने ऐसे नॉन-रिसाइक्लिेबल प्लास्टिक कूड़े को एकत्रित करने और उसे बिजली घर तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। दिल्ली एनसीआर में यह संस्थान इस तरह के 6-7 टन प्लास्टिक को एकत्रित कर बिजली घर तक पहुंचा रहा है।

जैन ने कहा कि पेप्सीको इंडिया, नेस्ले, डाबर, परफैटी वान मेले प्राइवेट लि़मिटेड व धर्मपाल सत्यपाल जैसी प्रमुख कंपनियां इस परियोजना को चलाने में मदद के लिये आगे आईं। उन्होंने कहा कि ‘वी केयर’ परियोजना के तहत आई.पी.सी.ए. कचरा बीनने वालों के साथ-साथ बड़े कचरा स्थलों के प्रबंधकों के साथ गठजोड़ कर रही है ताकि एम.एल.पी. को वहीं से अलग कर संयंत्र तक लाया जा सके। उन्होंने बताया कि गुडग़ांव, फरीदाबाद, गाजियाबाद, चंडीगढ़, मुंबई व देहरादून में भी इस तरह के संयंत्र लगाने की कोशिश है। 

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