बाजार में नकदी की बढ़ौतरी के लिए सरकार ला सकती है एलिफैंट बांड

Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 May, 2019 12:00 PM

elephant bonds can be brought to the market for the increase of cash

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनने वाली नई सरकार एलिफैंट बांड ला सकती है। एलिफैंट बांड को बाजार में नकदी की कमी को दूर करने के लिए लाया जा सकता है। अभी नकदी की कमी को बड़ी समस्या के रूप में देखा जा रहा है। एलिफैंट बांड को लाने की सिफारिश...

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनने वाली नई सरकार एलिफैंट बांड ला सकती है। एलिफैंट बांड को बाजार में नकदी की कमी को दूर करने के लिए लाया जा सकता है। अभी नकदी की कमी को बड़ी समस्या के रूप में देखा जा रहा है। एलिफैंट बांड को लाने की सिफारिश सरकार की तरफ से गठित उच्च स्तरीय कमेटी ने की है। इस कमेटी में अर्थशास्त्री सुरजीत दास, वरिष्ठ नौकरशाह हर्षवद्र्धन सिंह, औद्योगिक संगठन सी.आई.आई. के चंद्रजीत बनर्जी समेत कई अन्य वरिष्ठ नौकरशाह शामिल थे। 

मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक 3 दिन पहले यानी कि 22 मई को कमेटी ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। मैन्युफैक्चरिंग के लिए निवेश को बढ़ाने एवं नकदी की समस्या के समाधान के लिए मंत्रालय की तरफ  से इस कमेटी का गठन किया गया था। मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि सरकार एलिफैंट बांड की सिफारिश को मंजूर कर सकती है क्योंकि बैंकों के कर्ज भारी मात्रा में फंसे होने की वजह से बैंकों के पास नकदी की कमी है और उपभोग को बढ़ाने के लिए बाजार में नकदी के प्रवाह में इजाफा होना आवश्यक है तभी अर्थव्यवस्था गति पकड़ेगी।

क्या है एलिफैंट बांड
त्रालय सूत्रों के मुताबिक एलिफैंट बांड लेकर कालेधन को सफेद किया जा सकेगा लेकिन आधी रकम सरकार ले लेगी यानी कि अगर कोई व्यक्ति एलिफैंट बांड के तहत एक करोड़ के कालेधन को सफेद करना चाहता है तो 50 लाख रुपए ही उसे मिलेंगे लेकिन वह सफेद धन होगा। 50 लाख रुपए सरकार के खाते में जाएंगे। ऐसा माना जा रहा है कि अब भी बाजार में भारी मात्रा में ब्लैक मनी जमा है और इसका पता लगाना काफी मुश्किल है कि ब्लैक मनी किन-किन लोगों के पास है। कमेटी की इस सिफारिश को विचार के लिए वित्त मंत्रालय के पास भेजा जाएगा क्योंकि इस प्रकार की सिफारिश पर फैसला लेने का अधिकार वित्त मंत्रालय के पास है। हालांकि मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि अभी यह सिफारिश है, इसे लागू करना या नहीं करना सरकार पर निर्भर करता है इसलिए जुलाई में जाकर ही इस सिफारिश पर विचार किया सकता है।

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