Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Jun, 2019 06:53 PM
डेटा लोकलाइजेशन पर बड़ा फैसला करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा कि पेमेंट से जुड़े सभी डेटा भारत में ही स्टोर करने होंगे। अगर पेमेंट की प्रोसेसिंग किसी दूसरे देश में पूरी हुई है तो उससे जुड़े डाटा को वहां डिलीट किया जाना चाहिए और उसे पेमेंट...
नई दिल्लीः डेटा लोकलाइजेशन पर बड़ा फैसला करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा कि पेमेंट से जुड़े सभी डेटा भारत में ही स्टोर करने होंगे। अगर पेमेंट की प्रोसेसिंग किसी दूसरे देश में पूरी हुई है तो उससे जुड़े डाटा को वहां डिलीट किया जाना चाहिए और उसे पेमेंट प्रोसेसिंग से एक कार्यदिवस या 24 घंटे (जो भी पहले हो) के भीतर वापस लाया जाना चाहिए।
RBI ने जारी किया FAQs
केंद्रीय बैंक ने अपने 6 अप्रैल, 2018 के डाटा लोकलाइजेशन से जुड़े सर्कुलर पर बुधवार को जारी फ्रीक्वेंटली आस्क्ड क्वेश्चंस यानी FAQs (Frequently Asked Questions) के माध्यम से ये बातें कहीं। आरबीआई ने कहा कंपनियों को पेमेंट से जुड़ा डाटा भारत में रखना सुनिश्चित करना होगा।
आरबीआई ने स्पष्ट किया कि सीमापार लेनदेन के लिए घरेलू स्तर पर भी डाटा स्टोर किया जा सकता है। बैंकिंग रेग्युलेटर ने कहा, ‘जरूरत पड़ने पर पेमेंट डाटा ओवरसीज रेग्युलेटर के साथ साझा किया जा सकता है, जो ट्रांजैक्शन की नेचर/ओरिजिन पर निर्भर करता है। हालांकि इसके लिए आरबीआई की मंजूरी लेनी होगी।’
विदेशी ट्रांजैक्शन पर नहीं लगेगी कोई सीमा
स्पष्टीकरण में पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स द्वारा भारत के बाहर पेमेंट ट्रांजैक्शंस पर किसी तरह की सीमा नहीं होने की बात शामिल है। हालांकि, प्रोसेसिंग के डाटा भारत में ही सुरक्षित रखा जाएगा।