Edited By jyoti choudhary,Updated: 31 Jul, 2020 04:21 PM
सरकार के आत्म निर्भर पैकेज के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई में ऐलान किया था कि EPF (एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड) का मंथली कॉन्ट्रिब्यूशन 24 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी कर दिया था।
बिजनेस डेस्कः मई महीने में 3 महीनों के लिए सरकार ने पीएफ कंट्रीब्यूशन को 12% से घटाकर 10 फीसदी करने का फैसला किया था। यह कदम इसीलिए उठाया गया था ताकि कोरोना काल में इम्प्लॉई और उन्हें सैलरी देने वाले इम्प्लॉयर के हाथ में कुछ ज्यादा पैसा रहे। ये 3 महीने अब पूरे हो गए हैं इसीलिए अब अगस्त से आपका नियोक्ता पुरानी कटौती दरों पर वापस आ जाएगा यानी अगस्त से ईपीएफ पहले की तरह 12 फीसदी ही कटेगा।
सीतारमण ने कहा था कि लॉकडाउन में कारोबार बंद है इसलिए कंपनी और एंप्लॉयी दोनों के कॉन्ट्रिब्यूशन मई, जून और जुलाई 2020 के लिए 24 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी किया गया था। 1 अगस्त से EPF का कॉन्ट्रिब्यूशन पहले की तरह 24 फीसदी होगा। इसमें 12 फीसदी कंपनी और 12 फीसदी कर्मचारी देगा।
हर महीने कितना होता है योगदान?
EPF स्कीम के नियमों के तहत कोई कर्मचारी हर महीने अपनी सैलरी और महंगाई भत्ता का 12 फीसदी PF में जमा करता है। इतनी ही रकम कंपनी अपने कर्मचारी के खाते में जमा करती है। कुल मिलाकर हर महीने EPF खाते में 24 फीसदी रकम जमा होती है।
इन 24 फीसदी में से कर्मचारी का 12 फीसदी और कंपनी के 12 फीसदी में से 3.67 फीसदी EPF अकाउंट में जाता है। बाकी का 8.33 फीसदी एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम (EPF) में जाता है।
सरकार ने EPF कॉन्ट्रिब्यूशन क्यों घटाया था?
कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान जब सरकार ने लॉकडाउन किया था तो कामकाज बंद हो गया था। इसकी वजह से लोगों को कैश की किल्लत होने लगी थी। लिहाजा सरकार ने EPF कॉन्ट्रिब्यूशन घटाने का फैसला किया ताकि लोगों को सैलरी के तौर पर ज्यादा पैसा मिल सके। हालांकि यह कर्मचारी के ऊपर था कि वह 20 फीसदी कॉन्ट्रिब्यूशन का विकल्प चुने या 24 फीसदी।