वित्त मंत्रालय की सिफारिश पर ब्याज दर में कटौती नहीं करेगा EPFO

Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Jun, 2019 01:12 PM

epfo not to cut interest rates on the recommendation of the finance ministry

केंद्र की मोदी सरकार प्रॉविडेंट फंड (PF) के ब्याज को कम करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए  वित्त मंत्रालय ने इम्प्लॉई प्रॉविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (EPFO) को पीएफ की ब्याज दर को सालाना 8.65 फीसदी से कम करने के लिए कहा है। गौरतलब है कि ईपीएफओ 8.5 करोड़

बिजनेस डेस्कः श्रम मंत्रालय और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) वित्त वर्ष 2018-19 में पीएफ पर 8.65% की दर से ब्याज देने के प्रस्ताव पर अडिग हैं। ईपीएफओ के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज ने पर्याप्त रकम होने का हवाला देकर पीएफ पर ब्याज दर बढ़ाने का फैसला लिया था। साथ ही, लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने भी पीएफ की ब्याज दर बढ़ाने का ऐलान किया था। 

 

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8.55% से बढ़ाकर 8.65% करने का प्रस्ताव 
दरअसल, वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2018-19 में पीएफ पर ब्याज दर बढ़ाकर 8.65% दिए जाने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा है। वित्त मंत्रालय का विरोध ऐसे वक्त में आया है जब बैंक फंडिंग की ऊंची लागत का हवाला देकर कर्ज पर ब्याज दर घटाने से इनकार कर रहे हैं। साथ ही, वह जमा रकम पर भी ज्यादा ब्याज नहीं दे रहे हैं। 

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बैंकों का डर 
बैंकों की दलील है कि पीएफ जैसी छोटी बचत योजनाओं और ईपीएफओ की ओर से ऊंची ब्याज दर दिए जाने के कारण लोग उनके पास रकम जमा नहीं कराना चाहेंगे, जिससे उन्हें फंड जुटाने में आ रही समस्या बढ़ेगी। ध्यान रहे कि ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 2017-18 में पीएफ पर 8.55% की दर से ब्याज दिया था। 

 

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लेबर यूनियंस का दबाव 
ईपीएफओ में कई अधिकारी वित्त मंत्रालय के विरोध को एक रूटीन प्रतिक्रया के रूप में ले रहे हैं और इस तरह की दलील में कोई दम नहीं देख रहे। मसलन, सूत्रों ने कहा कि ज्यादा दर से ब्याज देने के बावजूद ईपीएफओ के पास 150 करोड़ रुपए अतिरिक्त बच जाएंगे। वहीं, लेबर यूनियंस भी ईपीएफओ के फैसले वापस लेने के पक्ष में नहीं हैं। ईपीएफओ के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठकों में लेबर यूनियनंस के प्रतिनिधि भी हिस्सा लेते हैं। सूत्रों का कहना है कि अगले कुछ दिनों में श्रम मंत्रालय, वित्त मंत्रालय की आपत्तियों का जवाब देगा। 

सरकार के सामने चुनौती 
सूत्रों के मुताबिक, अभी पीएफ पर ब्याज दर बढ़ाने के फैसले को वापस लेना मोदी सरकार के लिए शर्मिंदगी का सबब बन सकता है क्योंकि ईपीएफओ बोर्ड ने श्रम मंत्री संतोष गंगवार की अध्यक्षता में ब्याज दर बढ़ाने का फैसला लिया था। 

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