ऑनलाइन विज्ञापन में पक्षपात को लेकर EU ने गूगल पर लगाया 116 अरब रुपए का जुर्माना

Edited By jyoti choudhary,Updated: 20 Mar, 2019 06:16 PM

eu fines google 1 49 bn euros for anti trust breach

इंटरनेट सेवाएं देने वाली कंपनी गूगल को एक बार फिर यूरोपीय संघ ने भारी जुर्माना लगाया है। गूगल पर 1.49 अरब यूरो का जुर्माना प्रतिस्पर्धा कानून के उल्लंघन को लेकर लगाया है।

बिजनेस डेस्कः इंटरनेट सेवाएं देने वाली कंपनी गूगल को एक बार फिर यूरोपीय संघ ने भारी जुर्माना लगाया है। ईयू ने प्रतिस्पर्धा कानून के उल्लंघन को लेकर गूगल पर 1.49 अरब यूरो यानि करीब 116 अरब रुपए का जुर्माना लगाया है। यूरोपीय संघ की प्रतिस्पर्धा आयुक्त मारग्रेट वेस्टैगर ने कहा, ‘‘आयोग ने आनलाइन खोज विज्ञापन की ब्रोकिंग मामले में बाजार में अपनी मजबूत स्थिति के दुरूपयोग को लेकर गूगल पर 1.49 अरब यूरो का जुर्माना लगाया है।’’

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साल 2018 में लग चुका है भारी जुर्माना
गूगल पर यह जुर्माना ऑनलाइन विज्ञापन में पक्षपात को लेकर लगा है। बता दें कि इससे पहले भी पिछले साल जुलाई में यूरोपीय आयोग गूगल पर इसी बात को लेकर 344 अरब रुपए का जुर्माना लगाया था जो कि गूगल पर लगने वाला सबसे बड़ा जुर्माना था।

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कंपनियों पर रखी जाती है नजर 
दरअसल गूगल पर हर बार यह आरोप लगता रहा है कि वह अपने मोबाइल डिवाइस रणनीति के तहत गूगल सर्च इंजन को गलत तरीके से प्रस्तुत करता है। साथ ही आपको याद दिलाते चलें कि साल 2017 के बाद अभी तक गूगल पर लगने वाला यह तीसरा बड़ा जुर्माना है। गौरतलब है कि यूरोप गूगल, अमेजन, ऐप्पल और फेसुबक जैसी कंपनियों पर कड़ाई से नजर रखता है और नियमों के उल्लंघन होने पर जांच करता है।

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एंड्रॉयड फोन पर है गूगल का एकाधिकार
गूगल पर यह भी आरोप है कि वह तमाम एंड्रॉयड डिवाइस में मौजूद अपने सर्च इंजन और ब्राउजर का गलत इस्तेमाल करता है और किसी प्रोडक्ट के सर्च होने पर विज्ञापन के रूप में अपना ही प्रोडक्ट दिखाता है। बता दें कि गूगल सभी एंड्रॉयड फोन निर्माता कंपनियों को मुफ्त में अपना एंड्रॉयड सिस्टम देता है और बदले में मोबाइल कंपनियों को गूगल के क्रोम, ब्राउजर, यूट्यूब जैसे ऐप फोन में प्री-इंस्टॉल करके देने पड़ते हैं।

2015 में पहली बार हुई थी गूगल की शिकायत
गौरतलब है कि गूगल के खिलाफ अप्रैल 2015 में  फेयरसर्च' नाम के एक बिजनेस ग्रुप ने यूरोपियन यूनियन में शिकायत की थी और कहा था कि गूगल अपने एप के जरिए एंड्रॉयड स्मार्टफोन में अधिकार जमा रहा है। बता दें कि इस ग्रुप में नोकिया, माइक्रोसॉफ्ट और ओरेकल जैसी कंपनियां भी शामिल हैं।

अगर गूगल पॉलिसी बदलता है तो क्या होगा?
इस जुर्माने के बाद अगर गूगल अपनी बिजनेस पॉलिसी में बदलाव करता है तो इसका सीधा फायदा अन्य कंपनियों के ऐप को होगा। उदाहरण के तौर पर एंड्रॉयड मोबाइल यूजर्स गूगल क्रोम के बदले मॉजिला फायरफॉक्स, यूसी ब्राउजर या फिर किसी अन्य ब्राउजर को अपने फोन में इंस्टॉल करेगा।
 

 

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