तीन साल बाद भी GST की मंजिल दिख रही दूर

Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Jun, 2020 02:19 PM

even after three years the gst floor remains visible

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जब 2017 में पेश किया गया तो तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उम्मीद जताई थी कि ऐतिहासिक अप्रत्यक्ष कर सुधार पेश किए जाने से  5 प्रमुख मकसद पूरे होंगे- महंगार्ई पर लगाम लगेगी, अ

नई दिल्लीः वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जब 2017 में पेश किया गया तो तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उम्मीद जताई थी कि ऐतिहासिक अप्रत्यक्ष कर सुधार पेश किए जाने से  5 प्रमुख मकसद पूरे होंगे- महंगार्ई पर लगाम लगेगी, अनुपालन बोझ कम होगा, कर चोरी कठिन हो जाएगी,  जीडीपी को बल मिलेगा और सरकार के राजस्व के स्रोत मजबूत होंगे। जीएसटी लागू हुए 3 साल पूरे हो गए। जीएसटी लागू करने के 3 मकसद हिचकोले खा रहे हैं, जीएसटी महंगाई बढ़ाने वाला नहीं रहा है और जीएसटी परिषद अभी लगातार कर चोरी रोकने की कवायद में लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे गुड ऐंड सिंपल टैक्स नाम दिया था, जिसके बारे में विशेषज्ञों की राय है कि यह ऐसा नहीं बन पाया है।

संक्षेप में कहें तो जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की व्यवस्था को अभी भी अंतिम रूप दिया जा रहा है, भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2020 में पिछले 11 साल के सबसे निचले सस्तर पर है और यह अब तक के सबसे खराब मंदी की ओर बढ़ रही है, हालांकि इसके लिए सिर्फ जीएसटी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। कर वसूली की हालत यह है कि सरकार ने राज्यों के राजस्व में कमी आने की स्थिति में मुआवजा देने का वादा दिया था, जिसे पूरा करने के लिए अब जीएसटी परिषद बाजार से उधारी लेने पर विचार कर रही है, जिससे राजस्व में आई कमी की भरपाई की जा सके। इसके अलावा 500 से ज्यादा सामान पर कर में बदलाव किया जा चुका है।

तकनीक और कर की कई दरों से जुड़ी ढांचागत जटिलताओं से जूझ रहे कारोबारियों पर वैश्विक महामारी कोरोनावायरस की मार पड़ी और इन चुनौतियों ने काराबोरी गतिविधियों को ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंचा दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी के चौथे साल में प्रवेश पर आईटी इन्फ्रास्ट्रक्टर को मजबूत करने, कई जीएसटी ढांचों व दरों को तार्किक बनाने, अनुपालन बोझ सरल करने और राज्यों के लिए मुआवजा की व्यवस्था पर फिर से काम करने की जरूरत है।

पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा कि पूरी तरह से बदलाव की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'जीएसटी लागू किए जाने के पहले मैंने कहा था कि जीएसटी न होने से बेहतर है कि कोई भी जीएसटी हो। मैं सच्चे दिल से इसमें विश्वास करता था। लेकिन जिस तरह से हमारी जीएसटी व्यवस्था चल रही है, मेरी धारणा बदल गई। एक भी ऐसी समस्या नहीं है, जो इस जीएसटी में न हो।'

डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एमएस मणि ने कहा कि जीएसटी के तीन साल के दौरान कई करों की कुछ जटिलताएं जहां कम हुई हैं, कारोबार में कर वंचना, कर को आसान करने, अनुपालन बोझ कम करने आदि पर भविष्य में काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'मौजूदा स्थिति में, जब कारोबार सुधार की ओर है, यह जरूरी है कि जीएसटी में न्यूनतम बदलाव किया जाए और कारोबार को इनपुट टैक्स क्रेडिट, रिफंड, अनुपालन प्रक्रिया में अधिकतम लचीलापन दिया जाए।'

करदाताओं के लिए जीएसटी अनुपालन मुख्य समस्या बन गई है, इसकी वजह से सरकार को भी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। जीएसटीएन पोर्टल पर तकनीकी दिक्कतों को देखते हुए सरकार ने जीएसटीआर-2 (खरीद) और जीएसटीआर-3 (बिक्री खरीद रिटर्न) को नवंबर 2017 में रद्द कर दिया था। जीएसटी नेटवर्क में लगातार आने वाली तकनीकी बाधाओं का मसला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के संज्ञान में है। उन्होंने कहा था, 'हमें यह जानकारी है कि जब एक लाख से ज्यादा लोग एक साथ सिस्टम एक्सेस करते हैं तो बोझ न उठा पाने जैसी दिक्कतें आती हैं। या तो सिस्टम ठहर जाता है, या समय लगता है या कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती है।' दरअसल इन्फोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणी को परिषद की मार्च में हुई बैठक में तकनीकी खामियों को लेकर बुलाया गया था। आईटी कंपनी जीएसटीएन के लिए टेक्नोलॉजी समर्थन मुहैया कराती है। प्रस्तावित सरल जीएसटी फॉर्म जुलाई 2019 में पेश किया जाना था, लेकिन तकनीकी तैयारियों में खामी की वजह से इसे कई बार टाला गया है।  

एएमआरजी एसोसिएट्स के पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि करदाताओं को जीएसटी अनुपालन बोझ जैसा और थकाऊ लगता है। उन्होंने कहा, 'कुछ अधिसूचनाओं, सर्कुलर और स्पष्टीकरणों से करदाताओं के लिए जिंदगी आसान नहीं हो जाती।' स्वतंत्र कर सलाहकार दिनेश वाडेरा ने कहा कि जुलाई 2017 से दिसंबर 2019 के बीच देर से कर जमा करने के जुर्माने के रूप में सरकार को करीब 6,070 करोड़ रुपए  मिले हैं, यह राशि करदाताओं को वापस की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, 'जीएसटीएन में तकनीकी खामियों की वजह से जीएसटी रिटर्न दाखिल करने वालों को दंडित नहीं किया जाना चाहिए।'

केपीएमजी में पार्टनर हरप्रीत सिंह ने कहा, 'ई-इनवाइसिंग, नई रिटर्न व्यवस्था, केंद्रीकृत एडवांस रूलिंग एपीली प्राधिकरण आदि जीएसटी-4.0 में  पेश किया गया है, जो आगे की राह दिखाता है। उद्योग को भरोसा करना चाहिए कि सरकार की इसे लागू करने की रणनीति सोच विचार कर बनाई गई है, जिससे शुरुआती चुनौतियों से बचा जा सके।'

राज्यों की मुआवजा व्यवस्था पर दबाव है, क्योंकि उपभोक्ताओं की मांग कमजोर रहने से पर्याप्त संग्रह नहीं हुआ और ऐसी स्थिति कोरोनावायरस के पहले से है। 2019-20 में 95,000 करोड़ रुपए मुआवजा संग्रह हुआ ता और सरकार ने नवंबर तक के लिए 1.15 लाख करोड़ रुपए मुआवजा दिया है, जिसके लिए पहले के वित्त वर्ष के बचे हुए मुआवजे का इस्तेमाल किया3 गया। इसके अलावा 2017-18 से एकीकृत जीएसटी संग्रह के जिस धन का आवंटन नहीं किया गया था, फरवरी तक 3 महीनों के लिए 36,400 करोड़ रुपए राज्यों को दिए गए हैं।

किसने क्या कहा
30 जून, 2017

दरअसल, यह गुड ऐंड सिंपल टैक्स है- प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी
पुराना भारत आर्थिक रुप से बिखरा हुआ था, नया भारत एक कर, एक बाजार, एक देश बनाएगा- अरुण जेटली तत्कालीन वित्त मंत्री

23 अक्तूबर, 2017
उनके (मोदी सरकार) जीएसटी में अधिकतम 28 प्रतिशत कर है और 3 रिटर्न दाखिल करना है, जिससे जीएसटी गब्बर सिंह टैक्स बन गया है- राहुल गांधी तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष

18 नवंबर, 2017
नोटबंदी और जल्दबाजी में लागू किए गए जीएसटी का क्या असर है? इससे हमारी आर्थिक वृद्धि मंद पड़ गई है- मनमोहन सिंह पूर्व प्रधानमंत्री

28 जून, 2018
इसमें दिल को छू जाने की बात यह है कि तमाम उपभोक्ता वस्तुओं पर कर अब (जीएसटी के तहत) कम हुआ है और कम जीएसटी के बावजूद कर संग्रह बढ़ा है- आदि गोदरेज चेयरमैन गोदरेज समूह

1 जुलाई, 2018
जीएसटी का मतलब सिर्फ एक कर दर से है। अगर बहुत दरें होंगी तो इसे आरएसएस कर कहा जाए। यह तथ्य है कि जीएसटी का अब तक आर्थिक वृद्धि पर कोई सकारात्मक असर नहीं पड़ा है- पी. चिदंबरम पूर्व वित्त मंत्री

2 जुलाई, 2018
मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि मासिक जीएसटी संग्रह 1.10 लाख करोड़ रुपए प्रति महीने के औसत को पार कर जाएगा- पीयूष गोयल पूर्व वित्त मंत्री

10 दिसंबर, 2018
जीएसटी का ढांचा और ज्यादा बेहतर हो सकता था- अरविंद सुब्रमण्यन पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार

7 दिसंबर, 2019
हम इस आर्थिक मंदी से खपत की कहानी के जरिए बाहर नहीं निकल सकते, क्योंकि अब लोग ज्यादा खर्च करना नहीं चाहते, आमदनी कम है, बेरोजगारी है। बेहतर तरीका वित्तीय प्रोत्साहन देना होगा। अगर जीएसटी घटाकर 15 प्रतिशत तक कर दिया जाए तो यह बेहतर प्रोत्साहन होगा- कुमारमंगलम बिड़ला चेयरमैन आदित्य बिड़ला समूह

15 जनवरी, 2020
इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सरकार ने जीएसटी घटकर 5 प्रतिशत किया है लेकिन अन्य ईंधन वाले वाहनों पर 28 प्रतिशत जीएसटी है। क्या वे इसे घटाकर कम से कम कुछ समय के लिए 18 प्रतिशत कर लाएंगे और उसके बाद 2-3-4 साल में 28 साल करेंगे?- राजीव बजाज प्रबंध निदेशक बजाज ऑटो

28 जनवरी, 2020
जीएसटी का पूरा डिजाइन त्रुटिपूर्ण है। कोई प्रायोगिक परीक्षण नहीं हुआ, कोई बीटा टेस्ट या ट्रायल नहीं हुआ- अमित मित्रा वित्त मंत्री पश्चिम बंगाल

1 फरवरी, 2020
एकमत से संवैधानिक संशोधन और जीएसटी परिषद में आम राय से यह पता चलता है कि भारत देश के हित के मामलों में संकरी राजनीति से ऊपर उठ सकता है- निर्मला सीतारमण वित्त मंत्री

14 जून, 2020
केरल ने प्रस्ताव किया है कि जीएसटी परिषद को उधारी लेने की अनुमति मिलनी चाहिए और इस उधारी के भुगतान के लिए मुआवजा उपकर एक या दो साल के लिए बढ़ाया जानवा चाहिए- थॉमस आइजक वित्त मंत्री केरल


 

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