NPA के निपटान से ऋण कारोबार का विस्तार होगा : पनगढिय़ा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Aug, 2017 07:17 PM

expansion of loan business will be done by npa settlement  pangharia

नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढिय़ा का मानना है कि बैंकिंग प्रणाली में गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) का निपटान

नई दिल्लीः नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढिय़ा का मानना है कि बैंकिंग प्रणाली में गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) का निपटान सही दिशा में है और इससे ऋण के तेज विस्तार और वृद्धि का रास्ता खुलेगा। पनगढिय़ा ने एनपीए या डूबे कर्ज की समस्या को विरासत में मिला मुद्दा करार देते हुए कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के तीन साल बाद ही यह समस्या समाप्त नहीं हुई है। पनगढिय़ा ने कहा कि अब हम पूरी तरह सही दिशा में हैं। एक बार एन.पी.ए. का मुद्दा सुलझने के बाद ऋण के तेजी से विस्तार का रास्ता खुलेगा। यदि ऐसा होता है तो दोहरे बही खाते का मुद्दा (बहुत अधिक कर्ज लेने वाली कंपनियां और डूबे कर्ज के बोझ से दबे बैंक) के मुद्दे को सुलझाया जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि इससे बैंक अधिक कर्ज देने की स्थिति में होंगे जबकि कर्ज लेने वाली भी आगे आएंगे। बैंकिंग क्षेत्र का डूबा कर्ज 8 लाख करोड़ रुपए है जिसमें से 6 लाख करोड़ रुपए का एन.पी.ए. सरकारी बैंकों का ही है।एन.पी.ए. को स्वीकार्य स्तर से ऊपर जाने से रोकने के लिए रिजर्व बैंक ने 12 ऐसे खातों की पहचान की है जिनका बकाया कर्ज 5,000 करोड़ रुपए से अधिक है। बैंकों के कुल एन.पी.ए. का 25 प्रतिशत इन्हीं खातों के हिस्से में आता है। केंद्रीय बैंक ने इन खातों की दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता के तहत कार्रवाई के लिए पहचान की है।

पनगढिय़ा 31 अगस्त तक ही आयोग में हैं। कमजोर बैंकों के मजबूत बैंकों में विलय के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एकीकरण जरूरी है क्योंकि बैंकिंग कारोबार के परिचालन के लिए विशेषज्ञता रखने वाले लोगों की कमी है। उन्होंने कहा कि ऐसे में यदि 25 सरकारी बैंक होंगे तो कोई ऐसा व्यक्ति जो विशेषज्ञ है, कहेगा कि हमारा प्रबंधन अच्छा नहीं है। ऐसे में एकीकरण से बैंकों का प्रबंधन भी बेहतर हो सकेगा। यदि बैंकों की संख्या कम होगी तो हमारी प्रतिभाशाली लोगों की जरूरत भी कम होगी।   

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