आयकर में राहत के लिए टिकी निगाहें, क्या उम्मीदें पर खरा उतरेगा आम बजट?

Edited By vasudha,Updated: 24 Jan, 2020 12:28 PM

expectation of relief in income tax in budget to increase demand

कंपनियों ने मांग एवं खपत बढ़ाने के लिये आगामी बजट में व्यक्तिगत आयकर दरों में कटौती की उम्मीद जतायी है। उनका मानना है कि कंपनी कर में उल्लेखनीय कटौती के बाद अब व्यक्तिगत आयकर में कमी की जा सकती है। बजट से पहले किये गये एक सर्वे में यह बात सामने आयी...

बिजनेस डेस्क: कंपनियों ने मांग एवं खपत बढ़ाने के लिये आगामी बजट में व्यक्तिगत आयकर दरों में कटौती की उम्मीद जतायी है। उनका मानना है कि कंपनी कर में उल्लेखनीय कटौती के बाद अब व्यक्तिगत आयकर में कमी की जा सकती है। बजट से पहले किये गये एक सर्वे में यह बात सामने आयी है। कर परामर्श कंपनी केपीएमजी के सर्वे के अनुसार ज्यादातर लोगों का मानना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आयकर छूट सीमा मौजूदा 2.5 लाख रुपये सालाना से आगे बढ़ा सकतीं हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री ने चालू वित्त वर्ष के बजट में करदाताओं की पांच लाख रुपये तक की कर योग्य आय को करमुक्त किया हुआ है। 

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तमाम छूट और रियायतों के बाद यदि कर योग्य आय पांच लाख रुपये से कम रहती है तो काई कर देय नहीं होगा। हालांकि, जहां तक कर स्लैब का मुद्दा है, उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया। व्यक्तिगत आयकर स्लैब में 2.5 लाख से पांच लाख रुपये तक की आय पर पांच प्रतिशत की दर से कर देय है। वहीं पांच लाख से 10 लाख तक 20 प्रतिशत और 10 लाख रुपये से अधिक के लिये 30 प्रतिशत की दर से आयकर लागू है। इसके अलावा वरिष्ठ नागरिकों और बुजुर्गों की आय में अधिक छूट है। कर पर उपकर और अधिभार भी लागू है।   

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सर्वे में शामिल लोगों में से ज्यादातर का यह भी मानना है कि सरकार एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में मानक कटौती बढ़ाएगी तथा आवास कर्ज के मामले में और प्रोत्साहन दे सकती है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने कंपनियों के लिये कंपनी कर की दर घटाकर 25 प्रतिशत और विनिर्माण क्षेत्र में उतरने वाली नयी कंपनियों के लिये 15 प्रतिशत की दर से कर लगाने की घोषणा की है। हालांकि, इस दर से कर लगाने के साथ कंपनियों को विभिन्न मद में दी जाने वाली तमाम रियायतों और छूट को समाप्त कर दिया गया है। हालांकि, इस कदम को सराहा गया और आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने वाला बताया गया। लेकिन सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर छह साल के न्यूनतम स्तर 4.5 प्रतिशत पर आ गयी जो पिछली तिमाही में 5 प्रतिशत थी।

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 बजट पूर्व किये गये इस सर्वे में 215 कंपनियों को शामिल किया गया। बहुसंख्यक प्रतिभागियों का यह भी मानना है कि विदेशी कंपनियों के लिये भी घरेलू कंपनियों की तरह कर की दर में कमी आनी चाहिए। सर्वे के अनुसार व्यक्तिगत आयकर में कटौती के जरिये फिर से प्रोत्साहन दिया जा सकता है। ज्यादातर लोगों का मानना है कि 2.5 लाख रुपये की न्यूनतम आयकर सीमा को बढ़ाया जाएगा। साथ ही 30 प्रतिशत दर के दायरे में आने वाली आय सीमा को भी बढ़ाया जा सकता है। इससे पिछले साल ब्याज दर में हुई कटौती के साथ उपभोक्ता मांग बढ़ाने में मदद मिल सकती है। सर्वे में 50 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि निर्यात के लिये सेज इकाइयों को मिला कर अवकाश का लाभ मार्च 2020 के बाद स्थापित इकाइयों को भी दिया जा सकता है।
 

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