वैश्विक अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए लंबी चढ़ाई का करना पड़ रहा सामना: आईएमएफ

Edited By rajesh kumar,Updated: 07 Oct, 2020 02:21 PM

facing a long climb to bring the global economy back on track imf

अंतरराष्ट्रीय मुद्र्राकोष (आईएमएफ) प्रमुख ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था मजबूत वृद्धि के लिये लंबे और कठिन रास्ते पर बढ़ना शुरू कर चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर संभावना चार महीने पहले के मुकाबले बेहतर हुई है।

वाशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय मुद्र्राकोष (आईएमएफ) प्रमुख ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था मजबूत वृद्धि के लिये लंबे और कठिन रास्ते पर बढ़ना शुरू कर चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर संभावना चार महीने पहले के मुकाबले बेहतर हुई है।

आर्थिक गतिविधियों में काफी गिरावट
आईएमएफ की प्रबंध निदेशक किस्टलिना जार्जीवा ने मंगलवार को कहा कि पिछले कुछ महीनों में वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में काफी गिरावट आयी। इसका प्रमुख कारण कई सप्ताह तक का ‘लॉकडाउन’ था। इसकी वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था का 85 प्रतिशत हिस्सा प्रभावित हुआ। उन्होंने कहा कि स्थिति थोड़ी बेहतर हुई है। कई देशों में हाल के सप्ताहों में उम्मीद से बेहतर पुनरूद्धार देखने को मिला है।

आईएमएफ जारी करेगा रिपोर्ट
अगले सप्ताह होने वाली 189 सदस्यीय आईएमएफ और विश्वबैंक की बैठक से पहले अपने संबोधन में जार्जीवा ने कहा, ‘हमारा 2021 में आंशिक और असमान पुनरूद्धार का अनुमान बना हुआ है।’ बैठक में आईएमएफ आर्थिक परिदृश्य पर अद्यतन रिपोर्ट जारी करेगा। उन्होंने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये अपने संबोधन में कहा कि कुछ सुधार हुए हैं लेकिन अभी जोखिम ऊंचा बना हुआ है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट से उबर रही
आईएमएफ प्रमुख ने कहा, ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट से उबर रही है। लेकिन आपदा अभी खत्म नहीं हुई है।‘ सभी देशें को अब यह सामना करना पड़ रहा है जिसे मैं लंबी चढ़ाई कहूंगी। यह कठिन चढ़ाई है जो लंबी, उबड़-खाबड़ और अनिश्चितता से भरी है। इसमें झटके भी लग सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर हुई है। इसका कारण असाधारण नीतिगत उपाय है। सरकारों ने परिवारों की मदद के लिये 12,000 अरब डॉलर की सहायता उपलब्ध करायी है।

81 गरीब देशों की मदद की
जार्जीवा ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व समेत केंद्रीय बैंकों ने आपात ऋण उपलब्ध कराने को लेकर अभूतपूर्व नीतिगत कदम उठाकर लाखों कंपनियों को परिचालन में बने रहने में मदद की।उन्होंने कहा कि इन उपायों से अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट से बचा जा सका लेकिन साधन संपन्न और गरीब देशों के बीच खाई बढ़ी है। जार्जीवा ने कहा कि आईएमएफ जो कर सकता था, उसने किया है। संस्थान ने 280 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता जताकर 81 गरीब देशों की मदद की है। संस्थान 1,000 अरब डॉलर से अधिक की कुल कर्ज क्षमता के साथ और बहुत करने को तैयार है।

निवेश से 3.3 करोड़ नये रोजगार सृजित होंगे
उन्होंने कहा कि आईएमएफ के शोध के अनुसार विकसित और उभरते देशों में जीडीपी का महज एक प्रतिशत सार्वजनिक निवेश होने से 3.3 करोड़ नये रोजगार सृजित हो सकते हैं। अगले सप्ताह होने वाली बैठक में चर्चा का मुख्य विषय कम आय वाले देशों के कर्ज से निपटने का उपाय है। आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि धनी देशों को कर्ज के बजाए अनुदान के रूप में गरीब देशों को और मदद उपलब्ध करानी चाहिए।

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