Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Jul, 2019 06:38 PM
हाल के दिनों में फर्जी बीमा कंपनियों की ओर से नकली वाहन बीमा पॉलिसी बेचने की खबरें सामने आई हैं। इस बीच सरकार ने कहा कि देश में तीन कंपनियां फर्जी वाहन बीमा बेच रही हैं। बीते तीन सालों में इन बीमा कंपनियों ने नकली वाहन बीमा बेचकर लोगों को करीब 113...
बिजनेस डेस्कः हाल के दिनों में फर्जी बीमा कंपनियों की ओर से नकली वाहन बीमा पॉलिसी बेचने की खबरें सामने आई हैं। इस बीच सरकार ने कहा कि देश में तीन कंपनियां फर्जी वाहन बीमा बेच रही हैं। बीते तीन सालों में इन बीमा कंपनियों ने नकली वाहन बीमा बेचकर लोगों को करीब 113 करोड़ रुपए का चूना लगाया है।
यह कंपनियां बेच रही हैं नकली वाहन बीमा पॉलिसी
वित्त मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, मैसर्स एकेपीसीएल जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, मैसर्स गॉन जनरल इंश्योरेंस, मैसर्स मैरीन्स टैक्नोलोजी नाम की कंपनियां बीते तीन सालों से फर्जी तरीके से नकली वाहन बीमा पॉलिसी बेच रही हैं। यह कंपनियां भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकारण (इरडा) के पास पंजीकृत नहीं हैं। वित्त मंत्रालय का कहना है कि इन कंपनियों के फर्जीवाड़े को लेकर इरडा ने लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया है। साथ ही लोगों की शिकायतों के आधार पर इन कंपनियों के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
तीन साल में लगाया 113 करोड़ रुपए का चूना
वित्त मंत्रालय के अनुसार, यह बीमा कंपनियां 2016 से नकली वाहन बीमा पॉलिसी बेचने का कार्य कर रही हैं। बीते तीन सालों में नकली वाहन बीमा पॉलिसी बेचने के 2500 से अधिक मामले सामने आए हैं जिनमें लोगों को 113 करोड़ रुपए से ज्यादा का चूना लगाया जा चुका है। नकली वाहन बीमा पॉलिसी के सबसे ज्यादा 1192 मामले वित्त वर्ष 2018-19 में सामने आए हैं। इन मामलों में लोगों को 53 करोड़ से ज्यादा का चूना लगाया गया है।
धोखाधड़ी से बचने के लिए ये करें
लोगों को नकली बीमा पॉलिसी से बचाने के लिए इरडा की ओर से कई प्रकार के जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं। इरडा का कहना है कि उसके पास किसी भी उत्पाद के लिए विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईएन) होती है जिसे पॉलिसीधारक चेक कर सकता है।
असली-नकली का ऐसे लगाएं पता
वहीं अगर आप भी मोटर इंश्योरेंस लेने की सोच रहे हैं, तो आप भी उसके असली-नकली होने का पता लगा सकते हैं। पॉलिसी केवल जानकार लोगों से ही खरीदें। वहीं अगर ऑनलाइन खरीद रहे हैं, तो कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट से ही खरीदें।
- ध्यान रखें कि पॉलिसी खरीदने के लिये चेक या ऑनलाइन ट्रांजेक्शन ही करें। केवल कंपनी के नाम पर ही चेक काटें, किसी निजी व्यक्ति के नाम पर चेक देने से बचें।
- वहीं अगर आपने किसी थर्ड पाटी या व्यक्ति से पॉलिसी ली है, तो आपके ईमेल पर उसकी डिटेल आएंगी। यदि नहीं आई हैं, तो इंश्योरेंस कंपनी के कॉल सेंटर पर फोन करके पॉलिसी को वेरिफाई करें।
- किसी अंजान कंपनी से पॉलिसी खरीदने से बचें। अगर आपको कोई शक हो रहा है कि इरडा की वेबसाइट पर जाकर लाइसेंस वाली कंपनियों की लिस्ट में उस कंपनी का नाम चेक कर सकते हैं। साथ ही स्वीकृत पॉलिसी की डिटेल भी आपको वहीं मिल जाएगी।
- IRDAI ने कुछ साल पहले बीमा कंपनियों के लिए वाहन बीमा पॉलिसी पर एक QR कोड प्रिंट करना जरूरी कर दिया है, इससे आप पॉलिसी की डिटेल्स क्यूआर कोड के जरिये मोबाइल पर चेक सकते हैं। भारत में दिसंबर 2015 के बाद बिकने वाली मोटर बीमा पॉलिसियों में आम तौर पर एक क्यूआर कोड होता है।