Edited By Supreet Kaur,Updated: 29 Jun, 2018 10:11 AM
परिवार में बच्चों एवं वृद्धों का ध्यान रखने जैसे बिना आय वाले कार्यों में पुरुषों की तुलना में अधिक सक्रिय रहने से महिलाओं के सामने अच्छे रोजगार के अवसर सीमित होते जाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
बिजनेस डेस्कः परिवार में बच्चों एवं वृद्धों का ध्यान रखने जैसे बिना आय वाले कार्यों में पुरुषों की तुलना में अधिक सक्रिय रहने से महिलाओं के सामने अच्छे रोजगार के अवसर सीमित होते जाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
संगठन ने अपनी रिपोर्ट ‘केयर वर्क एंड केयर जॉब्स फॉर दी फ्यूचर ऑफ डिसेंट वर्क’ में कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में इस तरह के कार्यों में महिलाएं पुरुषों की तुलना में 4.1 गुना अधिक समय देती हैं। भारत में इन कार्यों पर महिलाएं औसतन प्रति दिन 297 मिनट खर्च करती हैं जबकि पुरुष महज 31 मिनट इन कार्यों को देते हैं। इसके उलट भुगतान वाले रोजगारों में पुरुषों के औसतन 360 मिनट की तुलना में महिलाएं महज 160 मिनट खर्च कर पाती हैं। संगठन ने 2030 तक रोजगार के 26.9 करोड़ अवसर सृजित करने के लिए विश्व भर में इस तरह के कार्यों में निवेश दोगुना करने की वकालत की।
रिपोर्ट में कहा गया कि 15 साल से कम उम्र के 99.2 करोड़ बच्चों तथा 11 करोड़ वृद्धों का ख्याल रखने के लिए 2015 में 1.1 अरब लोगों की जरूरत थी। दुनिया भर में 2030 तक 20 करोड़ अतिरिक्त बच्चों एवं वृद्धों का ख्याल रखने के लिए इन कार्यों में 2.3 अरब लोगों की जरूरत होगी। भारत का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि देश में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सामाजिक कार्यों पर खर्च 2015 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का छह प्रतिशत यानी 116.66 अरब डॉलर रहा। इसकी तुलना में ये खर्च बढ़ाकर 2030 में 571.4 अरब डॉलर किए जाने की जरूरत है।