दलहनों की कीमतें औंधे मुंह गिरने से किसानों का गणित गड़बड़ाया

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Nov, 2017 05:52 PM

farmers math disrupted due to in prices of pulses

फसलों के लाभकारी मूल्य की मांग को लेकर इसी साल किसानों के ङ्क्षहसक आंदोलन के गवाह मध्यप्रदेश में एक बार फिर यह मुद्दा गरमाने की आहट है। हालत यह है कि दमोह जिले के किसान सीताराम पटेल (40) ने हाल ही में कीटनाशक पीकर कथित तौर पर इसलिए जान देने की कोशिश...

इंदौर : फसलों के लाभकारी मूल्य की मांग को लेकर इसी साल किसानों के ङ्क्षहसक आंदोलन के गवाह मध्यप्रदेश में एक बार फिर यह मुद्दा गरमाने की आहट है। हालत यह है कि दमोह जिले के किसान सीताराम पटेल (40) ने हाल ही में कीटनाशक पीकर कथित तौर पर इसलिए जान देने की कोशिश की, क्योंकि मंडी में उड़द की उनकी उपज को औने-पौने दाम पर खरीदने का प्रयास किया जा रहा था।

कारोबारियों ने पटेल की उड़द के भाव केवल 1,200 रुपए प्रति किंव्टल लगाए थे, जबकि सरकार ने इस दलहन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) 5,400 रुपए प्रति किंव्टल  तय किया है। पटेल सूबे के उन हजारों निराश किसानों में शामिल हैं, जिन्होंने इस उम्मीद में दलहनी फसलें बोई थीं कि इनकी पैदावार से वे चांदी कूटेंगे लेकिन तीन प्रमुख दलहनों की कीमतें औंधे मुंह गिरने के कारण किसानों का गणित बुरी तरह गड़बड़ा गया है और खेती उनके लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है।

प्रदेश की मंडियों में उड़द के साथ तुअर (अरहर) और मूंग एम.एस.पी. से नीचे बिक रही हैं। गैर-राजनीतिक किसान संगठन आम किसान यूनियन के संस्थापक सदस्य केदार सिरोही ने बताया कि प्रदेश की थोक मंडियों में इन दिनों उड़द औसतन 15 रुपए प्रति किलोग्राम बिक रही है, जबकि खुदरा बाजार में टमाटर का दाम बढ़कर 70 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है। यानी अन्नदाता को एक किलो टमाटर खरीदने के लिए 5 किलो उड़द बेचनी पड़ रही है। उड़द भी 1,500 रुपए प्रति किंव्टल के उसी भाव पर बिक रही है, जिस दाम पर खलीयुक्त पशु आहार बेचा जा रहा है। यह स्थिति कृषि क्षेत्र के लिए त्रासदी की तरह है।   

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