Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Mar, 2022 04:26 PM
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण चालू वित्त वर्ष (2021-22) में सरकार का उर्वरक सब्सिडी बिल लगभग 10,000 करोड़ रुपए बढ़ सकता है लेकिन कर राजस्व बढ़ने से राजकोषीय घाटे को अनुमानित 6.9 प्रतिशत के करीब रखने में मदद मिलेगी। एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा...
नई दिल्लीः रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण चालू वित्त वर्ष (2021-22) में सरकार का उर्वरक सब्सिडी बिल लगभग 10,000 करोड़ रुपए बढ़ सकता है लेकिन कर राजस्व बढ़ने से राजकोषीय घाटे को अनुमानित 6.9 प्रतिशत के करीब रखने में मदद मिलेगी। एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि अमेरिका और ओपेक के सदस्य देशों द्वारा उत्पादन बढ़ाने के कारण अगले 2-3 महीनों में कच्चे तेल की कीमतें कम होने की उम्मीद है।
संशोधित अनुमानों (आरई) के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में उर्वरक सब्सिडी 1.40 लाख करोड़ रुपए से अधिक रह सकती है, जबकि अगले वित्त वर्ष के बजट अनुमानों (बीई) के मुताबिक सब्सिडी 1.05 लाख करोड़ रुपए से अधिक रहेगी। अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि अगले 2-3 महीनों में कच्चे तेल की कीमतें कम हो जाएंगी। तेल की बढ़ती कीमतों से उर्वरक सब्सिडी को छोड़कर चालू वित्त वर्ष में सरकार के बजट में कोई बदलाव नहीं आएगा। उर्वरक सब्सिडी के लगभग 10,000 करोड़ रुपए तक बढ़ने का अनुमान है।’’
अधिकारी ने आगे कहा कि चूंकि किसानों को बुवाई के मौसम की शुरुआत से पहले उर्वरकों के भंडारण की जरूरत होती है, ऐसे में पोटाश के आयात के लिए अंतरराष्ट्रीय कीमतों के कम होने तक इंतजार नहीं किया जा सकता। इसके अलावा प्राकृतिक गैस की कीमतों में बढ़ोतरी से यूरिया की घरेलू कीमतों में वृद्धि होगी। अधिकारी ने कहा कि सब्सिडी में इस वृद्धि के बावजूद राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में संशोधित अनुमानों के अनुरूप 6.9 प्रतिशत के स्तर के करीब रहेगा।