Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Oct, 2017 06:57 PM
त्योहारों का मौसम जारी है लेकिन ज्वैलर्स के चमचमाते शोरूम खाली पड़े हैं। वैसे तो हर साल नवरात्र शुरू होते ही
नई दिल्लीः त्योहारों का मौसम जारी है लेकिन ज्वैलर्स के चमचमाते शोरूम खाली पड़े हैं। वैसे तो हर साल नवरात्र शुरू होते ही सोने-चांदी की खरीदारी शुरू हो जाती थी लेकिन इस बार नवरात्र और दशहरा पर खरीदार बाजार से गायब रहे। जिस फेस्टिव सीजन का इंतजार ज्वैलर्स साल भर करते हैं वो इस बार उनके लिए फीका साबित हो रहा है। ज्वैलर्स के मुताबिक जी.एस.टी. और के.वाई.सी. नियमों की वजह से इस बार दशहरा पर उनकी बिक्री पिछले साल के मुकाबले 70 फीसदी तक घट गई और अब धनतेरस और दिवाली पर मंदे कारोबार के बादल मंडरा रहे हैं।
आकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में इस दशहरा मुश्किल से 50 करोड़ रुपए की ही ज्वैलरी बिक पाई जबकि पिछले साल ये आंकड़ा 175 से 200 करोड़ रुपए था। यानी बिक्री में 70 से 75 फीसदी तक गिरावट आई है। दिल्ली के चांदनी चौक में मशहूर होलसेल बाजार कूचा महाजनी में भी ज्वैलर्स की बिक्री 60 से 70 फीसदी तक गिरी है। देश के दूसरे शहरों में भी कमोबेश यही हाल है।
ज्वैलर्स की मानें तो बिक्री में गिरावट की शुरुआत नोटबंदी से ही हो गई थी और जी.एस.टी. लागू होने के बाद बाजार में मंदी छा गई। ज्वैलर्स के मुताबिक जी.एस.टी. और पी.एम.एल.ए. एक्ट की वजह से लोग ज्वैलरी खरीदने से बच रहे हैं। दरअसल सरकार ने 50 हजार रुपए से ज्यादा ज्वैलरी खरीदने पर के.वाई.सी. जरूरी कर दिया है, इसका उल्लंघन करने पर पी.एम.एस.ए. एक्ट के तहत कार्रवाई हो सकती है। दशहरे की मंदी को देखते हुए ज्वैलर्स को अब दिवाली से भी कम ही उम्मीदें हैं। इसलिए ज्वैलर्स ने सोने-चांदी का स्टॉक रखना कम कर दिया है।