Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Feb, 2020 11:19 AM
कोरोना वायरस के कारण जहां दुनिया भर के कारोबार पर असर देखने को मिला हैं वहीं अब इसका असर दवाईयों पर भी देखने को मिल सकता है। वायरस की वजह से स्मार्टफोन तथा सोलर उपकरणों का उत्पादन तथा आपूर्ति तो पहले से ही प्रभावित हैं लेकिन अब इसके कारण भारत में
बिजनेस डेस्कः कोरोना वायरस के कारण जहां दुनिया भर के कारोबार पर असर देखने को मिला हैं वहीं अब इसका असर दवाईयों पर भी देखने को मिल सकता है। वायरस की वजह से स्मार्टफोन तथा सोलर उपकरणों का उत्पादन तथा आपूर्ति तो पहले से ही प्रभावित हैं लेकिन अब इसके कारण भारत में कुछ बेहद जरूरी दवाओं की किल्लत हो सकती है।
उद्योग संगठन फिक्की ने कहा है कि चीन से कच्चे माल की आपूर्ति अगर दो महीने तक प्रभावित हुई तो भारत में कुछ बेहद जरूरी और आम तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं जैसे पैरासिटामोल, आइबूप्रोफेन, कुछ एंटीबायोटिक्स तथा डायबिटिज की दवाओं के उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
दो महीने का स्टॉक
फिक्की ने कहा है कि भारतीय दवा कंपनियां आमतौर पर कच्चे माल का दो महीने का स्टॉक अपने पास रखती हैं, इसलिए फिलहाल कोई दिक्कत नहीं है लेकिन अगर समस्या बनी रही तो उत्पादन पर असर पड़ सकता है। उद्योग संगठन ने कहा, 'अगर कोरोना के कारण चीन में शटडाउन फरवरी से आगे बढ़ता है तो भारत में बनी कुछ दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं।' उद्योग के अनुमान के मुताबिक, भारत में दवाओं के उत्पादन के लिए 70 फीसदी कच्चा माल चीन से आता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ऐक्शन में
वहीं केंद्र सरकार ने कहा है कि कंपनियों के पास अप्रैल तक दवाओं का प्रचूर स्टॉक है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय यह सुनिश्चित करने को लेकर एक योजना पर काम कर रहा है कि अगर अगले 15 दिनों तक चीन में लॉकडाउन जारी रहा तो दवाओं की किल्लत नहीं हो। इसके लिए उपाय भी किए जाएंगे। सरकार ने कुछ विशेष दवाओं की पहचान की है, जिसकी एपीआई का मुख्य स्रोत हुबेई प्रांत है और यह कोरोना वायरस का केंद्र बिंदु है।
90% तक कच्चा माल चीन से
फिक्की के अध्ययन के मुताबिक, पेनिसिलिन तथा इससे जुड़ी कुछ अन्य दवाओं के उत्पादन के लिए 90% कच्चा माल चीन से आता है। वहीं, टेलिकॉम उपकरणों और कुछ जैविक कंपाउंड जैसे सेगमेंट में भारत 70% चीनी आयात पर निर्भर है। चीन के हुबेई से 94 नई मौतों की सूचना सामने आने के बाद वहां कोरोना वायरस की महामारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 1,110 तक पहुंच गई है।