Edited By ,Updated: 15 Jun, 2016 07:13 AM
वित्त मंत्री अरुण जेतली ने कहा कि तमिलनाडु को छोड़कर एक तरह से सभी राज्यों ने जी.एस.टी. के विचार का समर्थन किया है। तमिलनाडु को इसको लेकर ‘कुछ आपत्तियां’ हैं।
कोलकाता: वित्त मंत्री अरुण जेतली ने कहा कि तमिलनाडु को छोड़कर एक तरह से सभी राज्यों ने जी.एस.टी. के विचार का समर्थन किया है। तमिलनाडु को इसको लेकर ‘कुछ आपत्तियां’ हैं। अधिकतर राज्यों के जी.एस.टी. के समर्थन में आने से इसके मानसून सत्र में राज्यसभा में पास होने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। लोकसभा ने जी.एस.टी. संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है जबकि यह राज्यसभा में लंबित है।
जी.एस.टी. पर राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की यहां 2 दिवसीय बैठक के बाद उन्होंने यह बात कही। हालांकि उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) के क्रियान्वयन के लिए ‘कोई समयसीमा जैसी बात नहीं है।’’ यह राज्य तथा केंद्र स्तर पर लगने वाले विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को स्वयं में समाहित करेगा। इससे पहले सरकार ने 1 अप्रैल, 2016 से देशव्यापी एकल कर व्यवस्था लागू करने का लक्ष्य रखा था लेकिन कांग्रेस पार्टी के विरोध के कारण जी.एस.टी. पर संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा में अटका हुआ है।
बैठक में पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा अरुणाचल प्रदेश तथा मेघालय के मुख्यमंत्रियों के साथ दिल्ली के उपमुख्यमंत्री समेत 22 राज्यों के वित्त मंत्री इसमें शामिल हुए। इसके अलावा 7 अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इसमें शामिल हुए। बैठक में जी.एस.टी.एन. के चेयरमैन एवं राजस्व सचिव हसमुख अधिया भी मौजूद थे।
नुक्सान को लेकर आशंका का समाधान
जेतली ने कहा कि पहले 5 साल के लिए राजस्व के नुक्सान को लेकर राज्यों की आशंका का समाधान कर दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र नुक्सान की भरपाई करेगा और चिंता का कोई कारण नहीं होना चाहिए।’’ वहीं जी.एस.टी. दर की संवैधानिक सीमा के जटिल मुद्दे पर वित्त मंत्री ने कहा कि इस पर पूरी तरह आम सहमति है, ऐसी कोई (संवैधानिक) सीमा नहीं होनी चाहिए क्योंकि भविष्य में इसको लेकर कोई जरूरत हो सकती है। अब इसे जी.एस.टी. परिषद पर छोड़ दिया गया है। उत्पादक राज्यों के एक प्रतिशत अतिरिक्त कर के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि केंद्र इस मामले में लचीला रुख अपनाए हुए हैं। चूंकि जी.एस.टी. खपत आधारित कर है, उत्पादक राज्य अतिरिक्त कर की मांग करते रहते हैं।