ग्रोथ के लिए हो सकती है वित्तीय घाटे की कुर्बानी, 3.5% हो सकता है वित्तीय घाटे का लक्ष्य

Edited By Supreet Kaur,Updated: 24 Dec, 2019 10:48 AM

financial loss may be sacrificed for growth target of fiscal deficit

सरकार ग्रोथ के लिए वित्तीय घाटे की कुर्बानी दे सकती है। जानकारी के मुताबिक सरकार 3 फीसदी के वित्तीय घाटे के लक्ष्य को 2 साल के लिए टाल सकती है। साथ ही इस साल के वित्तीय घाटे का लक्ष्य 3.3 से बढ़कर 3.5 फीसदी हो सकता है। सरकार वित्तीय घाटे के...

नई दिल्लीः सरकार ग्रोथ के लिए वित्तीय घाटे की कुर्बानी दे सकती है। जानकारी के मुताबिक सरकार 3 फीसदी के वित्तीय घाटे के लक्ष्य को 2 साल के लिए टाल सकती है। साथ ही इस साल के वित्तीय घाटे का लक्ष्य 3.3 से बढ़कर 3.5 फीसदी हो सकता है। सरकार वित्तीय घाटे के रोडमैप में अगले 5 साल के लिए बदलाव कर सकती है। 5 साल में इंफ्रा पर 1 लाख करोड़ रुपए के निवेश की जरूरत है। भारी निवेश के चलते वित्तीय घाटे के मौजूदा रोडमैप को बदलना होगा। वित्त वर्ष 2022 में सरकार का फोकस वित्तीय घाटे की बजाय ग्रोथ पर होगा।

वित्त वर्ष 2019-20 के लिए सरकार का राजकोषीय घाटा लक्ष्य 7.04 लाख करोड़ रुपए का है। देश का राजकोषीय घाटा अक्तूबर में 2019-20 के 7.2 लाख करोड़ रुपए बजटीय अनुमान का 102.4 फीसदी पहुंच गया। राजकोषीय घाटा या व्यय और राजस्व के बीच अंतर अक्तूबर 2029 में 7,20,445 करोड़ रुपए पहुंच गया।

जुलाई में घटाया था राजकोषीय घाटे का लक्ष्य
वित्त मंत्री ने 2019-20 के अपने पूर्ण बजट में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.4 से घटाकर 3.3 फीसदी कर दिया। राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को ध्यान में रखकर सरकार ने बजट में वित्त वर्ष के लिए घोषित कर्ज योजना पर रोक लगाई है। यह स्थिति तब है जब सरकार ने कम्पनी टैक्स में कटौती की है। इससे 1.45 लाख करोड़ का बोझ पडऩे की आशंका है। कुछ विशेषज्ञ पहले ही यह अनुमान जता चुके हैं कि राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में बढ़कर जी.डी.पी. के 3.6 से 3.8 फीसदी तक जा सकता है। इसका कारण कमजोर आर्थिक वृद्धि और कम्पनी टैक्स में कटौती के कारण राजस्व संग्रह में नरमी है।

नवम्बर में महंगाई बढ़ी
खाद्य पदार्थों के दाम बढऩे से खुदरा मुद्रास्फीति नवम्बर महीने में बढ़कर 5.54 फीसदी पहुंच गई जो 3 साल का उच्च स्तर है। वहीं औद्योगिक उत्पादन में अक्तूबर में 3.8 फीसदी की गिरावट आई। यह लगातार तीसरा महीना है जब औद्योगिक उत्पादन घटा है। यह अर्थव्यवस्था में नरमी का संकेत देता है। देश की आर्थिक वृद्धि दर जुलाई-सितम्बर तिमाही में 4.5 फीसदी रही जो 6 साल का न्यूनतम स्तर है।

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