जेतली ने RBI पर उठाए सवाल, पूछा- अंधाधुंध तरीके से कैसे दिए कर्ज

Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Oct, 2018 06:03 PM

fm criticises rbi for indiscriminate lending by banks

वित्त मंत्री अरुण जेतली ने 2008 से 2014 के बीच अंधाधुंध कर्ज देने वाले बैंकों पर अंकुश लगाने में नाकाम रहने को लेकर रिजर्व बैंक (RBI) की आलोचना की है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि इससे बैंकों में फंसे कर्ज (एनपीए) का संकट बढ़ा है।

नई दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेतली ने 2008 से 2014 के बीच अंधाधुंध कर्ज देने वाले बैंकों पर अंकुश लगाने में नाकाम रहने को लेकर रिजर्व बैंक (RBI) की आलोचना की है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि इससे बैंकों में फंसे कर्ज (एनपीए) का संकट बढ़ा है। उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है, जब केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को लेकर वित्त मंत्रालय और आरबीआई के बीच तनाव बढ़ने की खबरें आ रही हैं।

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आचार्य ने किया था विरोध 
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल वी आचार्य ने शुक्रवार को एक संबोधन में कहा था कि केंद्रीय बैंक की आजादी की उपेक्षा करना ‘बड़ा घातक’ हो सकता है। उनकी इस टिप्पणी को रिजर्व बैंक के नीतिगत रुख में नरमी लाने तथा उसकी शक्तियों को कम करने के लिए सरकार के दबाव और केंद्रीय बैंक की ओर से उसके प्रतिरोध के रूप देखा जा रहा है। 

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2008-14 के बीच अंधाधुंध तरीके से बांटे गए कर्ज
जेतली ने अमेरिका-भारत रणनीतिक भागीदारी मंच द्वारा आयोजित ‘इंडिया लीडरशिप समिट’ में कहा, "वैश्विक आर्थिक संकट के बाद आप देखें 2008 से 2014 के बीच अर्थव्यवस्था को कृत्रिम रूप से आगे बढ़ाने के लिए बैंकों को अपना दरवाजे खोलने और अंधाधुंध तरीके से कर्ज देने को कहा गया।" उन्होंने कहा,"केंद्रीय बैंक की निगाह कहीं और थी। उस दौरान अंधाधुंध तरीके से कर्ज दिए गए।"

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दोगुनी से ज्यादा हो गई थी क्रेडिट ग्रोथ
वित्त मंत्री ने कहा कि तत्कालीन सरकार बैंकों पर कर्ज देने के लिए जोर दे रही थी, जिससे एक साल में कर्ज में 31 फीसदी तक वृद्धि हुई, जबकि औसत वृद्धि 14 फीसदी थी। आचार्य ने मुंबई में शुक्रवार को एडी श्रॉफ स्मृति व्याख्यानमाला में कहा था कि आरबीआई बैंकों के बही-खातों को दुरुस्त करने पर जोर दे रहा है। ऐसे में, उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बेहतर तरीके से नियमन के लिए आरबीआई को अधिक शक्तियां देने की मांग की। उन्होंने कहा था कि व्यापक स्तर पर वित्तीय और आर्थिक स्थिरता के लिए यह स्वतंत्रता जरूरी है। न तो वित्त मंत्रालय और न ही जेतली ने अब तक इस टिप्पणी पर कोई बयान दिया है।

जेतली ने अपने संबोधन में आचार्य के भाषण या उनके मंत्रालय और आरबीआई के बीच कथित तनाव के बारे में कुछ नहीं कहा। पूर्व में वित्त मंत्री यह कह चुके हैं कि किसी भी गड़बड़ी के लिए राजनेताओं को अनुचित तरीके से आरोप झेलना पड़ता है, जबकि निगरानीकर्ता आसानी से बच निकलते हैं। उन्होंने कहा कि सुधार की दिशा में सरकार के उठाए गए कदमों से राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जेतली ने कहा, "मेरा अपना अनुमान है कि 2014 से 2019 के बीच कराधार करीब दोगुना होगा।" जेतली ने कहा कि यह वृद्धि बिना कर दर बढ़ाए हुई। 

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